Minimalism को प्रमोट कर रहेईको -वॉरियर्स

Minimalism को प्रमोट कर रहेईको -वॉरियर्स

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे(5 जून) इस साल कई मायनों में अलग है, क्योंकि कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को यह सोचने पर विवश किया है कि हम पर्यावरण को किस तरह खतरे में डाल रहे और इससे कैसे मानव जाति खतरे के मुहाने पर पहुंच गई है। अब यह समझने का समय है कि पर्यावरण संरक्षण किसी समूह या व्यक्ति विशेष की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि इस धरती पर रह रहे हर एक मनुष्य की जवाबदेही है। यही वजह है कि इस बार की थीम ‘टाइम फॉर नेचर’ रखी गई है। पिछले 72 दिनों में अपने घरों में कम से कम सामान और जरूरतों के साथ जीवन जिया, जीवन जीने का यही तरीका बरकरार रहे तो हम धरती पर अपने भविष्य को ज्यादा दूर तक देख सकते हैं। मिनिमलिज्म का कॉन्सेप्ट भी इसलिए पॉपुलेरिटी हासिल कर रहा है। भोपाल में सस्टेनेबिलिटी के साथ अपनी लाइफ को प्लान करने वाले ईको- वॉरियर्स हैं जो कि इस कॉन्सेप्ट पर काम कर रहे हैं। क्या है मिनिमलिज्म कॉन्सेप्ट मिनिमलिज्म, यह उतनी ही चीजों के साथ जीवन जीने को कहता है, जितनी जरूरत हो। अनावश्यक संग्रहण की प्रवृति पर रोक की बात इसका कॉन्सेप्ट है। मिनिमलिज्म मतलब है, सादा जीवन। ‘बिकमिंग मिनिमलिस्ट' के लेखक जोशुआ बेकर के अनुसार "जीवन में जो चीजें ज्यादा अहमियत रखती है उनपर फोकस करना और जो बाधा डालती हैं उन्हें दूर करना ही मिनिमलिज्म है।

तीन साल से जींस और फैब्रिक स्क्रैप रिसाइकल कर रही हूं

पिछले तीन साल से शालिनी पांडे रिसाइकलिंग और रीड्यूज के कॉन्सेप्ट पर काम कर रही हैं। वे पुरानी जींस के जरिए बैग्स, मोबाइल कवर, लैपटॉप वकर और हैंडमेड ज्वैलरी बना रही हैं। शालिनी कहती हैं, बतौर टेक्सटाइल एक्सपर्ट मेरी यह जिम्मेदारी बनती है कि मैं अपने कार्यक्षेत्र से पैदा होने वाले वेस्ट पर कंट्रोल करूं। भारत में प्लास्टिक वेस्ट के बाद तीसरे नंबर पर होने वाला प्रदूषण टेक्सटाइल से होता है। यही वजह है कि मेरा पूरा काम रिसाइकिलिंग और रीड्यूस पर फोकस्ड है। सिंथेटिक साड़ियों और दुपट्टों से डोर मैट बनाती हूं। पुरानी होजरी टी-शर्ट से टेबल रनर और मैट बनाती हूं। जो टी- शर्ट बेकार हो चुकी है, वो 1.5 साल और मैट के रूप में काम आ जाती है। इस तरह एक कपड़ा जो कचरा बनने वाला था वो कुछ और साल काम आ जाता है। जींस की रिसाइकिलिंग के जरिए बैग्स बनवाने का काम फिलहाल मेरे साथ 10 महिलाएं कर रही हैं। इस तरह हम घर से कचरा निकलाने वाली मशीन होने से बचेंगे।

फ्यूचर फॉर फ्राइडे प्रोजेक्ट और मिनिमलिज्म फॉलोअर

वल्लभ भवन के सामने फ्राइडे फॉर फ्यूचर मुहिम को एक साल से संचालित कर रहा हूं। फ्राइडे फॉर फ्यूचर कम्युनिटी पूरी दुनिया में विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकने के लिए प्रयासरत है। हम मिनिस्ट्री को ट्वीट करते हैं और एनवायरनमेंट पिटीशन फाइल करते हैं। भोपाल में पेड़ों की कटाई पर गर्वमेंट से बात की, लेकिन अभी नई शुरुआत करना है, ताकि और तेजी से काम कर सकें। वल्लभ भवन के सामने हम बच्चे कई बार प्रोटेस्ट करने खडे़ हुए और रैलियां निकाली, लेकिन किसी ने मिलने नहीं बुलाया, पर हम अपने स्तर पर शिकायत दर्ज कराते हैं कि शहर की हरियाली को बर्बाद न किया जाए। फेसबुक पर फ्राइडे फॉर फ्यूचर पेज भी है। जिस पर अवेयरनेस मैसेज देते हैं और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर ट्वीट स्टोर्म करते हैं। बात मिनिमलिज्म की करूं तो मैं जितनी जरूरत हो उतना सामान लेता हूं, जब तक की वाकई मुझे कोई चीज की सख्त जरूरत हो तभी उसे खरीदता हूं ।

डिस्पोज सेली कैंपन कोविड-19 में शुरू किया

कोविड-19 के बाद मास्क और ग्लव्स का डिस्पोज एक चैलेंज बन गया है। लोगों को ‘डिस्पोज सेफली कैंपेन’ के जरिए बता रहे हैं कि बायोडिग्रेडेबल वेस्ट को नगर िनगम की गाड़ी में पीछे की तरफ लगे ब्लैक बॉक्स में किसी कागज या बैग में लपेट कर डालें , ताकि कोरोना संक्रमण का खतरा न रहे। इसके अलावा प्लास्टिक वेस्ट सेंटर शहर में दस नंबर मार्केट, मोती मस्जिद के पास और मिंटो हॉल के पास स्थित समाधान केंद्र में बनाया हैं। अभी तक 10 टन प्लास्टिक का डोनेशन मिल चुका है, जिसे रिसाइकिल करके आर्ट वर्क करते हैं। बड़े तालाब पर हमने 400 किलोग्राम प्लास्टिक से ग्लोब बनाया जिसका उद्घाटन एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर ने किया था। शहरवासी हमारे डिस्पोज सेफली कैंपेन को इंस्टाग्राम औप फेसबुक से फॉलो करके डिस्पोज के तरीके सीख सकते हैं। इसके अलावा मिनिमलिज्म को फॉलो करने के तरीके भी शेयर कर रहे हैं।