भोपाल की चाय और पटियाबाजी थी पसंद

भोपाल की चाय और पटियाबाजी थी पसंद

भोपाल। फिल्म अभिनेता इरफान खान की असमय मृत्यु से पूरे बॉलीवुड में शोक का माहौल है। वहीं फिल्म जगत के सबसे सशक्त अभिनेताओं में शामिल इरफान का मध्य प्रदेश से काफी पुराना नाता रहा है। इसमें इरफान का भोपाल से भी कनेक्शन रहा है। जहां उन्होंने कईं बार निजी कार्यक्रमों के लिए भोपाल विजिट किया किया। वरिष्ठ रंगकर्मी और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में बैचमेट रहे आलोक चटर्जी ने बताया कि उनसे पहली मुलाकात सलमा सुल्तान के दूरदर्शन कार्यक्रम के दौरान हुई थी। इसके बाद 2003 में भोपाल में फिल्म ‘मकबूल’ की शूटिंग के लिए आए थे हालांकि उन्हें तब इतनी प्रसिद्धि नहीं मिली थी। फिल्म में पंकज कपूर, नसरुद्दीन शाह और ओम पूरी जैसे दिग्गज कलाकार मौजूद थे। शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी अनूप जोशी बंटी ने भी एक किस्सा शेयर करते हुए बताया कि जब इरफान खान भोपाल आए थे तब शहर घुमा करते थे और उन्हें शहर की पटिएबाजी बहुत पसंद थी। साथ ही उन्हें उस समय पीरगेट पर मौजूद एक चायवाले की चाय पसंद थी और लोगों से बात करना बेहद पसंद था और घंटो बात किया करते थे। शूट के बीच में जब भी मन करता था साथ चाय पीने जाते थे। उन्होंने कहा कि बॉलीवुड इंडस्ट्री को उनके जैसा अभिनेता मिलने में कईं साल लग जाएंगे।

इरफान कहते थे, मैं तुमको देखकर सीखना चाहता हूं

मैं और इरफान खान एनएसडी में नाटकों में साथ में काम करते थे। जब भी भोपाल आए, घर मिलने आए। तीन साल पहले उनसे भोपाल में ही मुलाकात हुई थी। इससे पहले भी वे 20 साल पहले दूरदर्शन के एक सीरियल की शूटिंग के लिए भोपाल आए थे, तब भी घर आए थे। मुझे आज भी याद है जब एनएसडी में होली के दिन ठंडाई पी ली थी तो लॉन में हम दोनों गाने गा रहे थे। वो सीरियस होकर बोले कि गजल सुनना है। रियलिस्ट एक्टिंग की प्रैक्टिस करते गए और वो गुस्सा करने की एक्टिंग कर रहे थे तो सब हंस रहे थे। वह गंभीर माहौल को भी हल्का कर देते थे। वे एनएसडी में एक्टिंग कोर्स करने आए थे, लेकिन यह कोर्स नहीं था। इरफान ने बहुत लंबा संघर्ष किया। पत्नी सुतापा उस समय एनएसडी बैचमैट थी और दोनों ने डायरेक्शन में स्पेशलाइजेशन किया था। करीब 10 साल पहले फिल्म मकबूल की शूटिंग भी भोपाल में हुई थी। मकबूल शेक्सपीयर के नाटक मैकबेथ पर बेस्ड है। उसने मुझसे मैकबेथ की अंग्रेजी कॉपी मांगी थी, जहांनुमा होटल में मैं उसे ये देना गया था। वह नॉनवेज का बहुत शौकीन था, चावल और मीट स्पेशली बनवाता था। एक बात वो जब भी मुझसे मिलता था तब कहता था कि सिगरेट छोड़ दो। एनसीडी में तीन साल रैपेट्री करके गया था, तब मुझे मुख्य रोल मिलता था और उसे सेकंड लीड मिलता था। वो मुझ से कहता था कि तुमसे सीखना चाहता हूं और मैं कहता था तुम खुद इतने अच्छे एक्टर हो।

वैनिटी में रहना पसंद नहीं था

मुझे इरफान के साथ दो बार काम करने के मौका मिला। एक बार दूरदर्शन पर सुनो कहानी में और दूसरी बार फिल्म मकबूल के वक़्त भोपाल में शूटिंग हुई थी तब। फिर मौका आया 50 दिन मकबूल की शूटिंग के दौरान। इस फिल्म में मेरे भी उनके साथ कुछ सीन भी थे। हालांकि उनकी सबसे अच्छी बात यह थी की जब शूटिंग खत्म हो जाती थी वो वैनिटी वैन में जाना पसंद नहीं करते थे। वो भोपाल की पटियाबाजी करना पसंद करते थे। पीरगेट पर उस समय एक शॉप थी वहां चाय पीकर आते थे, वही उनकी सादगी थी जो मुझे हमेशा याद रहेगी।

वो रीयलिस्टिक नहीं नेचुरलिस्टिक एक्टर थे

मैंने उनके साथ फिल्म 'पीकू' में काम किया था। वह किरदार में घुस जाते थे ऐसा लगता था जैसे कोई प्रोसेस की ही नहीं सीधे कैरेक्टर को अडॉप्ट कर लिया। उनके अंदर काम करने की एक ललक मैंने शूटिंग के दौरान देखी थी। उनमें मैंने एक बात और नोटिस की थी कि उन्हें डायलॉग बहुत जल्दी याद हो जाते थे। एक दो बार लाइन पढ़ी और सोचते रहते थे और जब परफॉर्म करते थे तो लगता ही नहीं था कि टेक चल रहा है। वो रीयलिस्टिक नहीं नेचुरलिस्टिक एक्टर थे।