20 साल में 20 हजार से ज्यादा पक्षियों को दिलाई पिंजरे से आजादी

20 साल में 20 हजार से ज्यादा पक्षियों को दिलाई पिंजरे से आजादी

I Am Bhopal। दशकों पहले प्रसिद्ध गीतकार प्रदीप ने पक्षियों के दर्द को अपने मार्मिक शब्दों में पिरोया था - पिंजरे के पंछी रे..., तेरा दर्द न जाने कोई। पिंजरे की व्यथा को झेलते अनेक पक्षी हमारे आस- पास भी नजर आ ही जाते हैं, लेकिन उनकी और हमारा ध्यान कम ही जा पाता है। हालांकि भोपाल में एक दंपति ऐसे भी हैं जो सालों से इन पक्षियों को खुला आकाश देने का बीड़ा उठाए हुए हैं। यह दंपति हैं धर्मेन्द्र और जयश्री शाह। धर्मेन्द्र बीते 20 सालों से एक ही सिद्धांत को अपनाए हुए हैं - इन्हें उड़ने के लिए आकाश दो, पिंजरा नहीं। अपने इस सिद्धांत को लोगों तक पहुंचाने के लिए इन्होंने मिशन पंख नाम से एक मुहिम भी चलाई हुई है, जिसके तहत यह अब तक 20 हजार से ज्यादा पक्षियों को आजाद करवा चुके हैं। यही नहीं जल्द ही इनके इस सराहनीय प्रयास को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह मिलने वाली है। यह अचीवमेंट अभी प्रोसेस में है।

कोशिश हर पक्षी हो पिंजरा मुक्त : रत्नागिरी में रहने वाले धर्मेन्द्र शाह और उनकी पत्नी न केवल बाजारों और बहेलियों के पास से पक्षियों को आजाद कराते हैं, बल्कि घर-घर जाकर भी लोगों के घरों में पिंजरे में रह रहे पक्षियों को मुक्त कराने का प्रयास करते हैं। इसके लिए धर्मेन्द्र के पास बकायदा एक सूचना तंत्र की तरह काम करने वाली टीम है जो इनके मिशन पंख का हिस्सा है। सूचना मिलने पर शाह दंपति घरों में जाकर लोगों को जागरूक करते हैं। उनके इस प्रयास के लिए प्रदेश की पूर्व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी मिशन पंख को सलाम कर चुकी हैं। धर्मेन्द्र कहते हैं कि अभी आजाद किए जाने वाले पक्षियों की संख्या 20 हजार से अधिक है।

मां से मिली थी प्रेरणा

धर्मेन्द्र के मुताबिक यह प्रेरणा उन्हें अपनी मां से मिली थी। उनकी मां अपनी बचत के पैसों से तोता बेचने वालों से पंछी खरीदकर उन्हें आजाद कर देती थीं। यही से धर्मेन्द्र ने अपने जीवन में इसे आत्मसात किया और अब पत्नी सहित पूरा परिवार उन्हें सपोर्ट करता है। यहां तक कि मिशन पंख के पास लगभग 9 लोगों का ऐसा ग्रुप भी मौजूद है जो हर माह पक्षियों के कल्याण और दाने की व्यवस्था के लिए सहयोग राशि देता है। इसके अलावा इस मुहिम में आम व्यक्ति भी मोबाइल नंबर 9039159596 के जरिए इस मिशन से जुड़कर या बंद पक्षियों की जानकारी देकर, पक्षियों को आजाद कराने में सहयोग दे सकते हैं।

हो सकता है पहला नाम

लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अब तक ऐसे किसी व्यक्ति या संस्था का नाम शामिल नहीं है, जिन्होंने पक्षियों को आजाद कराने का काम किया हो। धर्मेन्द्र शाह ने बताया कि लिम्का बुक की टीम को उनकी तरफ से सारी डिटेल भेजी जा चुकी है और इस रिकॉर्ड में शामिल होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।