गुनाह पासपोर्ट का था, दरबदर राशनकार्ड हो गए...

गुनाह पासपोर्ट का था, दरबदर राशनकार्ड हो गए...
गुनाह पासपोर्ट का था, दरबदर राशनकार्ड हो गए...
गुनाह पासपोर्ट का था, दरबदर राशनकार्ड हो गए...

भोपाल ।  गुनाह पासपोर्ट का था, दरबदर राशनकार्ड हो गए... मजदूरों के पलायन का दर्द दिखाती यह पेंटिंग 29 मार्च से दुनियाभर में वायरल हो रही है। इस पेंटिंग के जरिये भोपाल के फैजल मतीन की आर्ट रातों-रात दुनिया भर में छा गई। कोहेफिजा में रहने वाले 50 वर्षीय सीनियर ग्राफिक्स आर्टिस्ट फैजल कहते हैं, टीवी पर न्यूज देखने के दौरान जब मजदूरों को अपने परिवार के साथ कष्टपूर्ण हालातों में पलायन करते देखा तो दिल पसीज गया और मेरे हाथ अपने आप कैनवास पर चलने लगे। वॉटर कलर मीडियम में 28 मार्च को 3:30 घंटे लगातार पेंटिंग करते हुए इसे पूरा किया। यूं तो मैंने यह दृश्य भीड़ के साथ देखा था लेकिन इससे एक परिवार की स्थिति को बयां किया कि ऐसे कई परिवार मीलों पैदल चले जा रहे हैं। पेंटिंग में एक महिला की गोद में बच्चा है और सिर पर गठरी! पुरुष के सिर पर भी अटैचियां रखी हैं और छोटी बच्ची पिता का हाथ थामे निकल पड़ी है। यह द्रवित करने वाला नजारा देखकर मेरा ही नहीं लोगों का भी दिल दुखी हो उठा है। अब पेंटिंग भारत ही नहीं बल्कि यूके, यूएस, दुबई, सिंगापुर और आस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों तक पहुंच चुकी है। इन देशों से मुझे बधाई के कॉल्स आ रहे हैं। फैजल बताते हैं, पेंटिंग का टाइटल मैंने अमित बणगैया के कमेंट से लिया। उन्होंने मेरी पोस्ट के कमेंट बॉक्स में लिखा था ‘गुनाह पासपोर्ट का था...’। मैंने इसे अपनी फेसबुक वॉल पर पोस्ट की और देखते देखते  यह पेंटिंग लाखों जगह शेयर होने लगी। वह कहते हैं मैंने इस पेंटिंग को किसी श्रेय के लिए नहीं, बल्कि अपने दिल के जज्बात और पीड़ा को जाहिर करने के लिए बनाया है। 

सोशल डिस्टेंसिंग पर भी बनाई पेंटिंग

फैजल भोपाल ने हमीदिया कॉलेज से 1991 एमए फाइन आर्ट्स किया और पिछले 30 साल से आर्ट फील्ड में सक्रिय हैं। मसूरी के ओकग्रोव स्कूल में आर्ट टीचर भी रह चुके हैं। उनकी 30 पेंटिंग एग्जीबिशन जहांगीर आर्ट गैलेरी सहित अन्य गैलेरीज में आयोजित हो चुकी हैं। इसके अलावा वे फाइव स्टार होटल्स, आर्ट लवर्स और आर्ट हउस के लिए पेंटिंग्स बनाते हैं। उन्होंने इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग पर भी पेंटिंग अपनी एफबी वॉल पर शेयर की है।