10-20 नहीं 196 हो गर्इं अवैध कॉलोनियां नियमित करने सिर्फ मिलता है आश्वासन

10-20 नहीं 196 हो गर्इं अवैध कॉलोनियां नियमित करने सिर्फ मिलता है आश्वासन

जबलपुर । शहर में 10-20 नहीं 196 अवैध कॉलोनियां बस गर्इं और जिम्मेदार सोते रहे। अब इन कॉलोनीवासियों को जब कड़वी हकीकतों का सामना करना पड़ रहा है तो कॉलोनी बसाने वाले कॉलोनाइजर गायब हैं और शासन-प्रशासन उन्हें नियमित करने के लिए केवल आश्वासन दे पा रहा है। हैरत की बात यह है कि जब ये कॉलोनियां शनै: शनै: बस रही थीं उस वक्त जिम्मेदार अधिकारी सोते रहे,जानबूझकर इसकी अनदेखी की जाती रही। वर्ष 2016 में तत्कालीन व वर्तमान शिवराज सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए मुहिम चलाई थी इसके लिए कॉलोनियों को सूचीबद्ध किया गया था जिसमें प्रदेश में 3300 व शहर में 196 कॉलोनी अवैध बताई गर्इं। इनके लिए इंजीनियरों को प्रोजेक्ट बनाने का काम दिया गया। जिन्होंने कॉलोनियों का नक्शा, मकानों के आकार व प्रकार की डिजाइन तैयार कर इनकी रिपोर्ट ननि तक पहुंचार्इं थीं। इसके बाद कांग्रेस सरकार के आने के बा द यह प्रक्रिया थम गई और नए सिरे से कांग्रेस सरकार ने भी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी। यह प्रक्रिया भी सिर्फ कागजों तक ही रह गई और फिर सरकार बदली और शिवराज फिर मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता पर काबिज हुए। अभी तक अवैध कॉलोनियों के लिए नई सरकार ने अपनी नीति स्पष्ट नहीं की है।

मूलभूत समस्याओं के लिए तरसते हैं रहवासी

गत दिवस जब निगमायुक्त अनूप कुमार सिंह न्यू शास्त्री नगर कॉलोनी निरीक्षण के लिए पहुंचे तो उनसे लोगों ने पानी भरने की शिकायत की। जब श्री सिंह ने जांच कराई तो पता चला कि यह कॉलोनी अवैध है अब तक ननि क ो हस्तांतरित नहीं हुई है। ऐसे में उन्होंने यहां पानी निकासी की व्यवस्था तो करवाई और साथ ही शहर के नागरिकों से अपील भी की है कि इस तरह की अवैध कॉलोनियों में जगह न लें। अवैध कॉलोनियों में चूंकि ननि विकास कार्य नहीं करवाता लिहाजा यहां के रहवासी मूलभूत सुविधाओं जैसे बिजली,पानी,सड़क तक से महरूम होते हैं। उन्हें आवास बनाने के लिए बैंक से लोन भी नहीं मिलता।

फैक्ट फाइल

196 अवैध कॉलोनियां हैं शहर में

10 से 15 कॉलोनी हर साल बनती हैं।

06 हजार से अधिक परिवार टीसी कनेक्शन के भरोसे रहते हैं।

ये होते हैं नुकसान
अवैध कॉलोनी वासी को नहीं मिलता बैंकों से लोन।
नहीं होती संपत्ति की रजिस्ट्रि।
स्थाई विद्युत  कनेक्शन नहीं मिलता।
नगर निगम विकास के कोई काम नहीं करता।
सड़कें नहीं बनतीं,नल कनेक्शन,प्रकाश की व्यवस्था नहीं।