कान्ह और सरस्वती की सफाई के लिए बनेंगे 11 नए एसटीपी प्लांट

इंदौर। कान्ह और सरस्वती को साफ करने के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम ने मिलकर 600 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है, जिसमें नदी पर कुल 11 नए एसटीपी प्लांट, 450 किलोमीटर लंबी सीवरेज लाइन डाली जाएगी। साथ ही इंदौर शहर को अलग-अलग झोन में विभाजित किया जाएगा, जहां सीवरेज का पानी जमीन के ढलान अनुसार एकत्र होता है। कलेक्टर ने कहा कि इस दौरान वो काम भी दुरुस्त किए जाएंगे जो नाला टेपिंग के कारण अधूरे थे। पुराने आउट फॉल जो खुल गए हैं, उनको टेप करना होगा। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि नदी सफाई का काम साल 2018 में हुआ था, लेकिन वर्तमान यह सफल नहीं हो सका है और कान्ह एवं सरस्वती दोनों नदियां गंदी हैं।
इस बार नदी सफाई में कोई चूक नहीं हो इसके लिए भोपाल से एक्सपर्ट टीम बुलाई गई है, जो एक-दो दिन में इंदौर पहुंच जाएगी। टीम द्वारा दिए जाने वाले सुझावों के आधार पर इंदौर नगर निगम और जिला प्रशासन काम करेगा। 5 एसटीपी प्लांट नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत बनाए जाएंगे। 11 नए एसटीपी प्लांट निगम की नई योजना के तहत बनाने की प्लानिंग है। 9 एसटीपी प्लांट शहर में पहले से काम कर कर रहे हैं। कलेक्टर ने कहा कि इस नदी सफाई अभियान में कोई चूक नहीं होना चाहिए। किसी भी स्थिति में नदी 2027 तक साफ हो जानी चाहिए।
सीवरेज की समस्या से मुक्ति दिलाने का प्रयास
कलेक्टर सिंह ने कहा कि बैठक में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम, जिला पंचायत सीईओ को निर्देश दिए हैं कि किसी फैक्ट्री का गंदा पानी नदी में नहीं मिलना चाहिए। नदी, जलाशय और सीवरेज लाइन में कोई दूषित केमिकल नहीं छोड़ा जाना चाहिए। इस पर सभी निगरानी रखें।सिंह ने बैठक में निर्देश दिए कि शहर का ऐसा हिस्सा जहां अभी बड़ी तादाद में कॉलोनी और रहवासी क्षेत्र विकसित हो रहे हैं, उन क्षेत्रों को भी कवर किया जाएगा, ताकि शहर को 20 से 30 सालों तक सीवरेज की समस्या से मुक्ति मिल सके।
नदी सफाई पर अब तक 1100 करोड़ हुए खर्च
कान्ह और सरस्वती नदी की सफाई के लिए नगर निगम पिछले 20 सालों में 1100 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। नदी पर साल 2018 में 9 नए एसटीपी प्लांट बनाए गए। साथ ही एसटीपी प्लांट को घरेलू प्लांट से जोड़ने के लिए 350 किलोमीटर लम्बी सीवरेज लाइन डाली गई। शहर के 7 बड़े नालों को टेप कर सीवरेज का पानी नदी- नालों में मिलने से रोका गया। 4 हजार आउट फॉल टेप किए गए। वर्तमान में इस काम में सुधार और मॉनिटरिंग की जरूरत है, क्योंकि इनमें अभी सीवरेज का पानी बह रहा है।