गहरी जुताई से उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की होती है वृद्धि

गहरी जुताई से उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की होती है वृद्धि

जबलपुर । जून का महीना चल रहा है। ऐसे में खरीफ की फसलों की किसान तैयारियां करने में जुटा है। परंतु मानसून के पहले किसानों को गहरी जुताई करा लेना चाहिए। ताकि फसलों की पैदावार अच्छी हो सके। खेतों की गहरी जुताई कर कृषक दोहरा लाभ उठा सकते हैं। गहरी जुताई करने से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ा सकता हैं। साथ ही सरकार की तरफ से अनुदान राशि भी किसानों के लिए आती है। परंतु किसानों को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। गहरी जुताई से उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की होती वृद्धि है। गौरतलब है कि जिले में 2 लाख 70 हजार हैक्टेयर खेती के लिए रवबा है। मृदा मे लगातार फसलें उगाने से मृदा सख्त एवं कठोर हो जाने से जल धारण क्षमता एवं भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती जाती है तथा फसलों में विभिन्न प्रकार के रोग, कीट, बीमारियों एवं खरपतवारों की समस्या दिन प्रति दिन बढ़ती जाती है। जिससे फसलोत्पादन में कमी एवं लगातार जल स्तर में गिरावट देखी जा रही है। ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई किसानों के लिए एक वरदान के रुप में साबित हो सकती है। मई-जून के माह में मिट्टी पलटने हल जैसे मोल्ड़ बोर्ड प्लाऊ, टर्न रेस्ट प्लाऊ या रिवर्स विल मोल्ड़ ,बोर्ड प्लाऊ के द्वारा तीन वर्ष मे कम से कम एक बार 20 सेमी. से अधिक गहरी ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई अवश्य करनी चाहिए।

भूमि के जल स्तर में भी होता है इजाफा

गहरी जुताई के लिए शासन किसानों को कुछ राशि भी देती है, लेकिन कृषि विभाग की लापरवाही से न तो इस योजना का लाभ किसानों को मिल पा रहा हैं और ना ही जागरुक किया जा रहा हैं। हालांकि सममस मय पर कृषि वैज्ञानिक किसानों को गहरी जुताई करने सहित अन्य तरह की सलाह देते रहते हैं। गहरी जुताई करने से भूमि की ऊपरी कठोर परत टूट जाती है जिससे मृदा में वर्षा जल धीरे-धीरे रिस-रिस कर जमीन के अंदर चला जाता है। वर्षा जल का रुकाव जमीन में अत्यधिक होने के कारण मृदा में जल भरण क्षमता एवं जल स्तर में वृद्धि हो जाती है।

कीटों का भी होता है नाश

मृदा में हवा का आवागमन बढ़ जाता है एवं सूक्ष्म जीवों की संख्या में भी वृद्धि हो जाती है, तथा जैविक पदार्थो का विघटन सर्वाधिक होता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। मृदा मे वर्षा जल के सोखने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे वायुमण्डल की नाइट्रोजन जल में धुल कर मृदा में चली जाती है,मृदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हो जाती है। जमीन के अंदर छिपे हुए कीटों के अंडे, प्युपा आदि जमीन के ऊपर आ जाते है और तेज धूप के कारण मर जाते है।

ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई खेत के ढाल की विपरीत दिशा में करने से मृदा एवं जल कटाव में कमी एवं वर्षा जल बहकर नुकसान हो जाने से भी बच जाता है। ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई करने से फसल उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाती है। -डॉ.एसके निगम,उपसंचालक कृषि

हम लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता हैं। इसलिए टेक्टर या फिर हल से जुताई कराते है क्योंकि प्लाऊ मंहगा पड़ता है। -अरविंद पटेल,किसान सिहोरा

शासन कई योजनाएं चला रही है जिससे खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सके। लेकिन किसानों तक योजनाएं नहीं पहुंच पाती है। गहरी जुताई के लिए भी शासन से कुछ राशि किसानों को मिलती है। परंतु किसानों तक नहीं पहुंच पाती है। -रामदीन, किसान तिलहरी