200 कंप्यूटर आॅपरेटर्स पर खर्च 3.36 करोड़, टेंडर जारी हो रहा था 5 करोड़ का

200 कंप्यूटर आॅपरेटर्स पर खर्च 3.36  करोड़, टेंडर जारी हो रहा था 5 करोड़ का

जबलपुर । इस बार नगर निगम में आउट सोर्स के कंप्यूटर आॅपरेटर खासी चर्चाओं में रहे। पहले इनकी छंटनी और फिर नए टेंडर को लेकर सरगर्मी रही। आनन-फानन में होने वाले टेंडर को जब एकाएक प्रशासक व निगमायुक्त ने रोक दिया तो कंप्यूटर आॅपरेटर्स की चेन से जुड़े करीब आधा दर्जन जिम्मेदारों को धक्का लगा। ऐसा इसलिए क्योंकि 200 आॅपरेटरों को साल भर में महज 3 करोड़ 36 लाख का भुगतान होना था, मगर जिम्मेदार इसके लिए 5 करोड़ का टेंडर लगवा रहे थे। इस गोलमाल की भनक प्रशासक और संभागायुक्त महेश चंद्र चौधरी सहित निगमायुक्त अनूप कुमार सिंह को लग गई। लिहाजा न सिर्फ 25 जून को होने वाले इस टेंडर को रोका गया अपितु निगमायुक्त श्री सिंह ने अपने स्तर पर इसकी जांच करने भी कहा, जिसके बाद इस प्रक्रिया से जुड़े आधे दर्जन लोगों की सांसें अटकी हुई हैं। जाहिर है कि यदि सच्चाई सामने आई तो न सिर्फ इस टेंडर अपितु विगत 7 सालों से जारी गोलमाल की परतें खुल जाएंगी और कईयों को लेने के देने पड़ सकते हैं।

14 हजार मिलते हैं प्रत्येक को मासिक

यह हिसाब प्रति आॅपरेटर 14 हजार रुपए मासिक की दर पर है। हालाकि किसी भी आॅपरेटर को इतना वेतन नहीं मिलता। सभी आॅपरेटरों को 8हजार 2 सौ रुपए मासिक मिलते हैं,इसमें पीएफ,ईएसआई कटौती की जाती है। निकलते 14 हजार रुपए हैं। बाकी पैसे कहां जाते हैं यह रहस्य आज तक सामने नहीं आया है।

ऐसे खर्च हो गए 7 साल में ननि के 16 करोड़

कंप्यूटर आॅपरेटरों पर विगत 7 सालों में नगर निगम के 16 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। 4 ठेका कंपनियों ने अधिकारियों की सांठगांठ से जमकर रुपया कमाया है। जो कंपनी आॅपरेटरों का ठेका लेती है वह जाना ही नहीं चाहती। उसका जाना केवल हिस्सेदारी में कमी या बेईमानी के बाद ही हो पाता है और नई कंपनी को काम दे दिया जाता है।

50 को निकाला तो 150 क्यों नहीं की संख्या

मजे की बात तो यह है कि चिन्हित 200 आॅपरेटरों में से भी खर्च कम करने के नाम पर 50 आॅपरेटरों को बाहर कर दिया गया था। लिहाजा इनकी संख्या 150 होनी थी, इसके हिसाब से 3.36 करोड़ में भी 25 फीसदी और कमी आनी चाहिए थी मगर टेंडर 5 करोड़ का ही जा रहा था। 3.36 करोड़ में से 87 लाख और कम कर दिए जाएं तो 2 करोड़ 49 लाख ही होता है,अब ढाई के बदले 5 करोड़ का टेंडर देना किसी के गले से उतरने वाली बात नहीं है।