गांव में खेती के लिए शहरों की अपेक्षा होता है 30 प्रतिशत अधिक भूजल दोहन

गांव में खेती के लिए शहरों की अपेक्षा होता है 30 प्रतिशत अधिक भूजल दोहन

इंदौर। इंदौर की जनता तैयार रहे... जलसंकट आने वाला है! ये हम नहीं कह रहे, बल्कि गर्मी का मौसम शुरू होने के बाद घरों के सूख रहे बोरिंग बता रहे हैं। शहर का जल स्तर गिरने से बोरिंग सूख गए हैं। अब जनता की निर्भरता तीन महीने नर्मदा के पानी पर रह गई है। यह पहली बार नहीं, बल्कि हर साल इंदौर में जलसंकट की स्थिति गर्मी शुरू होते ही पैदा होने लगती है। भूजल वैज्ञानिक का कहना है कि शहरों के बाहरी क्षेत्र यानि खेतों में सिंचाई के लिए लगने वाले बड़े-बड़े बोरिंगों के कारण शहरों का जल स्तर घट रहा है, जो एक चिंता का विषय है।

हालांकि एक बात अच्छी है कि इंदौर शहर में नर्मदा जल आपूर्ति के बाद से बोरिंग पर निर्भरता लगभग पूरी तरह से कम हो गई है। शहर का करीब 70 फीसदी हिस्सा नर्मदा के पानी का उपयोग कर रहा है। पर्यावरणविद् के अनुसार साल-2010 में इंदौर के शहरीय क्षेत्र में 136 प्रतिशत भू-जल दोहन होता था, जो साल 2023 में घटकर 100 फीसदी रह गया है। भूजल वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् सुधींद्र मोहन शर्मा ने बताया कि केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय द्वारा देशभर के अलग- अलग शहरों ग्राउंड वाटर लेवल सर्वे कर रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें इंदौर शहर की स्थिति भूजल स्तर को बढ़ाने के प्रयासों में सकारात्मक है।

इंदौर शहर इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहा है। इंदौर की स्थिति अब अलग है, पिछले दस सालों में शहर का दायरा काफी बढ़ गया है और बढ़ रहा है। मकान निर्माण के लिए बोरिंग के पानी के उपयोग के अलावा कोई दूसरा विकल्प लोगों के पास नहीं, लेकिन अच्छी खबर यह नर्मदा जल की आपूर्ति का दायरा नगर निगम ने बढ़ाया तो बोरिंग का उपयोग कम हुआ। इंदौर भूजल दोहन की मात्रा शहर के पांच ब्लॉक से केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय करता है। सुधींद्र मोहन शर्मा ने बताया कि इंदौर में अगर कुल भूजल दोहन की बात की जाए तो बोरिंग के पानी का उपयोग मकान निर्माण और अन्य कामों में केवल 7 प्रतिशत हो रहा है, जबकि 90 प्रतिशत भूजल का दोहन खेती में किया जा रहा है।

भू-जल स्तर को घटने से रोकने के लिए यह करना होगा

  • सिंचाई के पानी की निर्भता बोरिंग पर खत्म करना होगी।
  • तालाबों का निर्माण कर कृषि में पानी जरूरत को पूरा करना होगा। 
  • बारिश के पानी को सेव करने के लिए हर घर में वाटर रिचार्जिंग सिस्टम लगाना होगा । 
  • आसपास के तालाबों कों संरक्षित करना होगा ।

तेजी से बढ़ रहा है इंदौर शहर इंदौर शहर

के आसपास शहरीकरण बढ़ रहा है, नई कॉलोनियां काटी जा रहीं। यहां निर्माण के लिए बोरिंग के अलावा पानी कोई दूसरा स्रोत नहीं है। 10 साल पहले निपानिया-तुलसीनगर सहित पूरे शहर में यही स्थिति दिन-रात बोरिंग होते थे। भूजल स्तर गिरने से बचाने के लिए नलकूप से सिंचाई बंद करनी होगी। शहर में धूल कम होना चाहिए, भूजल का बर्बादी पर रोक लगाई जानी चाहिए। वर्षा जल सहेजने तालाब बचाने पर काम होना चाहिए। नर्मदा चौथे चरण के बजाय इंदौर को अपने जलस्रोत बनाने चाहिए। डॉ. संदीप नारुलकर ,प्रोफेसर, एसजीएसआईटीएस महाविद्यालय

पानी बचाने वाली कृषि पद्धति को अपनाना होगा

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय द्वारा जारी की गई वाटर असेसमेंट सर्वे रिपोर्ट में 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में 1 प्रतिशत भूजल दोहन कम हुआ है। पीछे दस सालों की वाटर असेसमेंट रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि इंदौर शहरी क्षेत्र में सुधार हुआ है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों में पानी बचाने वाली कृषि पद्धति को अपनाया जाए तो समस्या हल हो जाएगी। - सुधीन्द्र मोहन शर्मा, भूजल वैज्ञानिक, इंदौर

विदेशों में बोरिंग पर पानी के मीटर लगे है

  नलकूप से कृषि होती रही तो इंदौर ग्रामीण क्षेत्र सूखे के शिकार हो सकते हैं। बिचौली में जल स्तर घट रहा है। प्रशासन और सरकार को निर्माण क्षेत्र में पानी का नया विकल्प खोजना चाहिए।ट्रीटेड वाटर इंदौर सफल नहीं है। - ओ पी जोशी, पर्यावरणविद