23 इलाकों में दिखी 32 हजार तितलियां, नेचर लवर सुबह 9 से 1 के बीच लेते हैं तस्वीरें

23 इलाकों में दिखी 32 हजार तितलियां, नेचर लवर सुबह 9 से 1 के बीच लेते हैं तस्वीरें

 विश्व में तितलियों की लगभग 17500 एवं भारत में 1500 प्रजातियां पाई जाती हैं। पृथ्वी पर तितलियों का उद्धभव लगभग 130 मिलियन वर्ष पूर्व क्रिटेशियन्स युग में हुआ था। हिंदू पुराणों के अनुसार तितलियां भगवान ब्रह्मा के विशेष कृतियों में से एक हैं। तितलियों को लेकर पहली बार हुआ भोज ताल के तितली सर्वे 86 प्रजातियों की तितलियां चिह्नित की गईं। दरअसल, हाल में भोपाल में तितलियों को लेकर एक व्यापक सर्वे किया गया जो कि अगस्त 2022 से लेकर जनवरी 2023 तक चला। वहीं भोपाल में कई नेचर लवर हैं जो कि फोटोग्राफी के जरिए तितलियों को अपने कैमरे में कैप्चर करते हैं। नेशनल लर्न एबाउट बटरफ्लाई डे पर जानिए भोपाल के तितली जगत के बारे में।

32 हजार तितलियां दिखीं सर्वे में

भोपाल बर्ड्स की प्रमखु डॉ. संगीता राजगीर ने बताया तितली सर्वे भोपाल बर्ड्स ,मप्र जैवविविधता बोर्ड, रीजनल म्यूजियम आॅफ नेचुरल हिस्ट्री एवं व्हीएनएस नेचर सेवियर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। सर्वे में कुल 86 प्रजातियों को चिह्नित किया गया जिनकी संख्या लगभग 32 हजार रही। 

पहली बार भोपाल में दिखी यह तितली

सर्वे के दौरान भोपाल में पहली बार अनालोमस नवाब को चिन्हित किया गया। यह तितली आईआईएफएम के कैंपस में देखी गई जो अमूमन महाराष्ट्र और सतपुड़ा रेंज में ही दिखती है।

सुबह के समय करें बटरफ्लाई फोटोग्राफी

आम तौर पर जहां कहीं भी पौधे उगते हैं, फूल खिलते हैं वहां तितलियां होती हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि आप कहीं दूर जंगल में या किसी नेशनल पार्क में जाएं तभी बटरफ्लाई फोटोग्राफी कर पाएंगे। ये आपको किचन गार्डन में, बगीचे में, सड़क के किनारे उगी झाड़ियों में, खेतों में, नदी या झीलों के किनारे उगने वाली पौधों, झाड़ियों और सरकंडों पर। बटरफ्लाई फोटोग्राफी के लिए किसी भी कैमरे , फोन और लेंस से आप शुरूआत कर सकते हैं, जरूरी है कि आप अधिकतम जूम इस्तेमाल करें, ताकि शमीर्ली तितलियों और आपके बीच पर्याप्त दूरी हो। सुबह के 9-11 बजे यही एक-दो घंटे बटरफ्लाई फोटोग्राफी के लिए सबसे अच्छे होते हैं। -मीता अठावले, नेचर फोटोग्राफर

23 जोन में देखी गई तितलिया

पक्षी विशेषज्ञ मोहम्मद खालिक ने बताया सर्वे के लिए भोजताल को कुल 5 क्लस्टर में बांटा गया जिसमे 23 जोन थे। इन जोन में गोरागांव, बिशनखेड़ी, नाथू बरखेड़ा, बीलखेड़ा, बम्होरी, मुगलियाछाप, लखापुर, ईंटखेड़ी छाप, खजुरी सड़क, बकानिया, कोलूखेड़ी, बरखेड़ा सलाम, भौरी, जमोनिया झिरर, कुलननाला, मीरपुर, भैंसाखेड़ी, बैरागढ़ कलां, बेहटा , लाउखेड़ी, सिंगारचोली, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान को शामिल किया गया। इस सर्वे में तितलियों पर कार्य करने वाले शोधकर्ता, विद्यार्थियों एवं वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

नमी और छांव वाले एरिया में दिखती हैं

तितलियां बहुत देर में स्टेबल होती है। वे बहुत छोटी से पत्ती या फूल पर भी होती हैं तो हिलती रहती हैं। मैं पेड़ों के शेड वाले नम एरिया में उन्हें देखता हूं क्योंकि वे वहीं रहना पसंद करती हैं। मैंने हाल में लेमन पैंसी, कॉमन टाइगर को क्लिक किया है। - योगेश मोरे, नेचर फोटोग्राफर