तेज तूफान और बारिश होंने से 41 हजार मीट्रिक टन गेहूं और 25 मीट्रिक टन धान हुई गीली

तेज तूफान और बारिश होंने से 41 हजार मीट्रिक टन गेहूं और 25 मीट्रिक टन धान हुई गीली

जबलपुर । किसानों की समर्थन मूल्य पर खरीदी गई उपज खुले आसमान के नीचे पड़ी हुई है। जिसके कारण हवा-तूफान और बारिश में उपज बर्बाद हो रही है। परंतु जिम्मेदार इससे बेपरवाह है। ताजा मामला जिले के तिलसानी ओपन कैप का आया है। जहां पर प्रशासन का 41 हजार मीट्रिक टन गेहूं एवं 2019-20 की खरीदी गई 25 मीट्रिक टन बची हुई धान बारिश के पानी में बर्बाद हो रही है। लेकिन प्रशासन इसे स्टोर करने का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं कर पा रहा है जिससे लाखों रुपए की उपज बारिश की भेंट चढ़ गई। जिला प्रशासन हर साल बारिश से बचाने के लिए धान-गेहूं के स्टोर कराने के लिए लाखों रुपए खर्च करता है। ताकि किसानों से खरीदी गई उपज का ठीक तरह से भंडारण हो सके और किसी भी तरह से बारिश में ओपन कैंपों में रखा गेहूं-धान बर्बाद न हो सके। परंतु इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिससे शासन को हर साल लाखों का चूना धान-गेहूं के भींग जाने से लगता है।

तिरपाल से भी ठीक तरह से नहीं ढंका गया

तिलसानी ओपन कैप के ब्रांच मैनेजर ने बताया कि ओपन कैप में रखे गेहूं और धान में तिरपाल एवं पन्नी से ढंका गया है,लेकिन अभी हाल ही में आए तेज आंधी-तूफान के कारण तिरपाल उड़ गई थी और बारिश हुई जिससे पिछले वर्ष की खरीदी धान-गेहूं और इस वर्ष की अभी की खरीदी का रखा गेहूं पानी में भींग गया है। ओपन कैप में पड़े अन्न का रंग भी परिवर्तित हो चुका है। सवाल यह उठता है कि इसका जिम्मेदार कौन है। क्योंकि कई लाख की उपज पानी में बर्बाद हो चुकी है। बताया जा रहा है कि कंट्रक्शन के द्वारा कार्य में लापरवाही बरतने के कारण नुकसान हुआ है।

वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन वालों का ओपन कैप है अगर पानी में भींगने की जानकारी आपके द्वारा आई है तो इसमें तत्काल चर्चा करता हूं। साथ ही अगर गेहूं का नुकसान हुआ होगा तो वेयरहाउस के भंडारण का जो किराया दिया जाता है उससे कटौती करेंगे। - विवेक तिवारी,डीएमओ

तेज तूफान और बारिश हुई थी जिसके कारण ओपन कैप में रखा गेहूं कुछ गीला हुआ है वहीं धान भी गीली हुई है। जिसकी जानकारी दे दी गई है। - प्रदीप पटले,ब्रांच मैंनेजर