एक दशक में घट गई 5 लाख हेक्टेयर वन भूमि से हरियाली 6 साल में काट डाले ढाई लाख पेड़

जबलपुर । जंगलों की अंधाधुंध कटाई से जहां पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। के्रशर की डस्ट हवा में जहर घोल रही है। चारों ओर सड़क निर्माण के कारण धुंध छा रही है। सड़क चौड़ीकरण व अन्य निर्माण कार्यों के लिए पिछले सालों में अनगिनत पेड़ों का कत्लेआम कर दिया गया। प्रदेश में 6 वर्षो में विभिन्न विभागों से मांगी गई एक रिपोर्ट के अनुसार 2 लाख 50 हजार से ज्यादा पेड़ों की कटाई हुई है। स्टेट फॉरेस्ट की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में 5 लाख हेक्टेयर की वन भूमि से हरियाली घट गई है। इसमें अतिक्रमण के नाम पर आग लगाने और अवैध वनों की कटाई इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है। इस अनुपात में पौधारोपण भी नहीं हुआ। जहां पौधे रोपे गए, उन्हें बचाने पर्याप्त प्रयास नहीं हुए। जिससे शहर की एयर क्लालिटी पर भी असर पड़ा। जो इस ओर इशारा कर रहा है कि नहीं चेते तो यहां भी हवा जहरीली हो जाएगी।
प्रदेश में 6 वर्षों में हुई वनों की कटाई
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांतीय संयोजक ने बताया कि नगर निगम,वनविभाग,राष्ट्रीय राजमार्ग,स्टेट हाईवे आदि विभागों में आरटीआई लगाई गई थी। जिसमें प्राप्त जानकारी अनुसार मध्यप्रदेश में वर्ष 2013 से 2018 के मध्य 2 लाख 50 हजार से अधिक वृक्ष काटे गए थे, वहीं जबलपुर जिले में इस दौरान 25 हजार के लगभग वृक्ष काटे गए थे।
पर्यावरण संरक्षण के लिए लगाई गईं याचिकाएं
जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई और आग लगाए जाने से पर्यावरण को नुकसान संबंधी याचिका हाईकोर्ट में 2016 में लगाई गई। जिस पर कोर्ट ने वन विभाग को रोकथाम के विस्तृत दिशा-निर्देश दिए थे।
प्रदेश में पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर याचिका 2017 में एनजीटी भोपाल में लगाई थी, जिसमें दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।
नर्मदा नदी में नालों का गंदा पानी मिलने से रोकने 2017 में एनजीटी भोपाल में याचिका दायर की गई थी, जो अभी लंबित है।
ई-वेस्ट को लेकर 2012 में एनजीटी भोपाल में याचिका लगाई गई, जिसमें मध्यप्रदेश सहित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नियमों के पालन के लिए 2015 में कोर्ट में निर्णय दिया गया और नियमों का पालन शुरु किया गया।
पॉलीथिन बेन करने 2014 में एनजीटी भोपाल में याचिका दायर की गई, जिस पर कोर्ट के आदेश पर प्रदेश में 2018 में पॉलिथिन बेन हुई।
नेशनल हाईवे सहित अन्य कारणों से कुछ पुराने वृक्ष काटे गए हैं। वहीं पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से समयस मय पर वृक्षारोपण किया जाता है। अवैध वनों की कटाई रोकने के लिए टीम बनाकर कार्रवाई की जाती है। रवीन्द्र मणि त्रिपाठी, डीएफओ, जबलपुर
जल-वायु प्रदूषण में लॉकडाउन की अवधि में काफी सुधार हुआ है। नर्मदा नदी का जल तो ए ग्रेड में है ही, परंतु लॉकडाउन के कारण इसमें और भी सुधार आया है। वहीं पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में निरंतर वृक्षारोपण एवं संगोष्ठी के कार्यक्रम कर जागरुक किया जा रहा है। डॉ.एसके खरे,वैज्ञानिक, मप्र.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड