पिछले 8 साल में 750 बाघों की मौत, मप्र में सबसे ज्यादा

नई दिल्ली। भारत में पिछले आठ साल में शिकार और अन्य कारणों से 750 बाघ मारे गए हैं। मप्र में सर्वाधिक 173 बाघों की मौत हुई है। राष्टय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि इन बाघों में से 369 की मौत प्राकृतिक कारणों से और 168 बाघों की मौत शिकार से हुई। 70 मौतों के की जांच चल रही है, जबकि 42 बाघों की मौत दुर्घटना व संघर्ष जैसे अप्राकृतिक कारणों से हुई।
मप्र में शिकार के चलते हुई 38 बाघों की मौत
एनटीसीए द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पिछले आठ साल में मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 173 बाघों की मौत हुई। इनमें से 38 बाघों की मौत शिकार की वजह से, 94 बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई और 19 बाघों की मौत का मामला अभी जांच के दायरे में है। छह बाघों की मौत अप्राकृतिक कारणों से हुई और 16 अवशेष भी मिले। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में देश में सर्वाधिक 526 बाघ हैं।
कार्रवाई की जानकारी नहीं दी
एनटीसीए ने कहा कि इस अवधि में ओडिशा और आंध्र प्रदेश में 7-7, तेलंगाना में 5, दिल्ली व नगालैंड में एक-एक, आंध्र प्रदेश, हरियाणा तथा गुजरात में एक-एक बाघ की मौत हुई है। एनटीसीए ने आरटीआई आवेदन के जवाब में शिकार के चलते बाघों की मौत मामले में की कार्रवाई की जानकारी नहीं दी।
101 बाघों के अवशेष मिले
एनटीसीए ने बताया कि वर्ष 2012 से 2019 तक आठ साल के दौरान देशभर में 101 बाघों के अवशेष भी बरामद हुए। इससे वर्ष 2010 से मई 2020 तक हुई, बाघों की मौतों का विवरण साझा करने का आग्रह किया गया था। हालांकि, इसने वर्ष 2012 से लेकर आठ साल की अवधि का ब्योरा ही उपलब्ध कराया।