85% माल उठाने की शर्त रिजर्व प्राइज पर उलझन

85% माल उठाने की शर्त रिजर्व प्राइज पर उलझन

भोपाल। प्रदेश की नई आबकारी नीति को लेकर उलझनें कम नहीं हो रही हैं। एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराबबंदी को लेकर मोर्चा खोले हैं, वहीं शराब ठेकेदार 85 प्रतिशत माल उठाने की बाध्यता खत्म करने और जीएसटी को एमएसपी पर ही जोड़ने का दबाव बना रहे हैं। रिजर्व प्राइज बढ़ाने के मामले में भी विभाग निर्णय नहीं ले पा रहा है। पिछले वर्ष नई आबकारी नीति 19 जनवरी को आई थी। इस बार नियमों को बनाने और संशोधन करने में राज्य सरकार को पसीना आ रहा है। जानकारी के अनुसार, मुख्य सचिव और विभाग के प्रमुख सचिव के बीच अंतिम दौर की चर्चा होना है। इसके बाद प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा जाएगा। मंगलवार को कैबिनेट में आबकारी नीति आने की संभावना जताई जा रही है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के अुनसार नई आबकारी नीति शीघ्र ही आएगी।

10 प्रतिशत तक ही बढ़ सकता है रिजर्व प्राइज

नई नीति में अधिकतम 10 प्रतिशत रिजर्व प्राइज बढ़ाया जा सकता है। पिछले साल रिजर्व प्राइज को लेकर कोर्ट-कचहरी हुई थी और चार मंत्रियों की एक कमेटी भी बनाई गई थी।

सरकार और ठेकेदारों के बीच ये है पेंच

  •  पिछले वर्ष शर्त रखी गई थी कि ठेकेदार को 85 प्रतिशत माल उठाना होगा, अन्यथा ढाई प्रतिशत जुमार्ना लगेगा। लिहाजा ठेकेदारों को चोरी छिपे सस्ते में शराब बेचना पड़ रही है। इससे उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। भोपाल के दो ठेकेदार बीच में ही छोड़कर चले गए। 
  • वैट पहले एमएसपी में जुड़ा होता था, पिछले साल इसे बीच में अलग कर दिया गया। इसको लेकर ठेकेदारों में काफी नाराजगी है।
  • ठेकेदार चाहते हैं कि नई पॉलिसी में सबकुछ स्पष्ट हो। जैसे कि नफा-नुकसान, एमएसपी, एमआरपी, वैट, टैक्स आदि भी बताई जाए।