अडाणी ग्रुप ने कहा- सब पब्लिक डोमेन में है, हिस्सेदारी की बिक्री से आया पैसा

नई दिल्ली। अरबपति कारोबारी गौतम अडाणी के समूह ने सोमवार को अपनी कंपनियों में 2019 से अब तक 2.87 अरब डॉलर की हिस्सेदारी की बिक्री का ब्योरा सूचीबद्ध किया और बताया कि कैसे समूह ने 2.55 अरब डॉलर जुटाए और उसे कारोबार में लगाया। कंपनी राहुल गांधी के ‘शेल कंपनियों’ के जरिए 20,000 करोड़ रुपए कमाने के दावे का जवाब दे रही थी। अडाणी समूह ने कहा कि अबू धाबी स्थित वैश्विक रणनीतिक निवेश कंपनी, इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी पीजेएससी (कऌउ) जैसे निवेशकों ने अडाणी इंटरप्राइजेज लिमिटेड और अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) जैसे फर्मों में 2.593 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया। साथ ही प्रमोटरों ने अडाणी टोटल गैस लिमिटेड में हिस्सेदारी बेची। कानून का हो रहा पालन : समूह ने कहा है कि हम एक्सचेंज के नियमों का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं और प्रवर्तक, स्वामित्व और फंड रेजिंग में घालमेल नहीं कर रहे हैं। जनवरी 2021 में प्रवर्तकों ने नवीकरणीय ऊर्जा फर्म एजीईएल में 20% हिस्सेदारी फ्रांस की कंपनी टोटल एनर्जी को बेचकर 2 बिलियन अमरीकी डालर जुटाए। अडाणी टोटल गैस लिमिटेड में 37.4% हिस्सेदारी फ्रांसीसी फर्म को 783 मिलियन अमरीकी डालर में बेची थी। यहां से आए पैसे : अडाणी समूह ने कहा कि इन फंड्स को नए कारोबार के विकास और अडाणी इंटरप्राइजेज लिमिटेड, अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड, अडाणी ट्रांसमिशन लिमिटेड और अडाणी पावर लिमिटेड जैसी पोर्टफोलियो कंपनियों के विकास के लिए प्रवर्तक संस्थाओं द्वारा इनमें फिर से निवेश किया गया। अडाणी समूह का ये बयान एक रिपोर्ट का खंडन करते हुए जारी किया गया था। इसमें करीब-करीब वही बातें कहीं गई हैं, जो राहुल गांधी बीते कई हμतों से कहते आ रहे हैं। ज्ञात हो कि राहुल गांधी कई बार ये सवाल उठा चुके हैं कि अडाणी समूह की शेल कंपनियों में 20,000 करोड़ रुपए अचानक कैसे आ गए।
फंड का ऐसे हुआ निवेश
समूह ने कहा कि विदेशों से प्राप्त धन को वापस समूह की संस्थाओं में लगा दिया गया, जिसे कुछ लोगों द्वारा 'शेल कंपनियों' द्वारा निवेश करार दिया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि इन फंड्स को नए कारोबार के लिए प्रवर्तक संस्थाओं द्वारा पुनर्निवेश किया गया था। प्रवर्तक संस्थाओं की अडाणी कंपनियों में पर्याप्त हिस्सेदारी है, जो समय के साथ बढ़ी है। ये संस्थाएं अपने निवेश को बढ़ाने में सक्षम हैं। सभी लेन-देन का स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में सार्वजनिक रूप से खुलासा किया गया था।
क्या है विवाद
अडाणी समूह पर अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया गया था कि कंपनी अकाउंट फ्रॉड, धोखाधड़ी में लिप्त है और उसने मॉरिशस में स्थित शेल कंपनियों के नेटवर्क का उपयोग भारत में हेर-फेर करने के लिए किया। समूह की सात सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर की कीमतों और उनकी बैलेंस शीट को बेहतर बनाने के लिए कई तरह के फ्रॉड किए गए। अडाणी समूह ने सभी आरोपों का खंडन किया है और हिंडनबर्ग के आरोपों को गलत बताया है। लेकिन इसके बाद विपक्षी दल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गौतम अडाणी के रिश्तों को लेकर हमलावर हो गए हैं। राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने अडाणी के विदेशी कनेक्शनों की जांच की मांग की है। समूह की सभी कंपनियों के शेयर चढ़े: समूह की कंपनियों के शेयर सोमवार को लाभ दर्शाते हुए बंद हुए और कुछ कंपनियां अपनी ऊपरी सर्किट सीमा पर पहुंच गई। ऐसा निवेश के स्रोत के बारे में जानकारी देने के बाद हुआ।