अफगान में हिजाब के कारण घर में ही जिंदा दफन हो गईं महिलाएं

7 अक्टूबर को आए भूकंप में तालिबानी फरमान ने ली जान

अफगान में हिजाब के कारण घर में ही जिंदा दफन हो गईं महिलाएं

हेरात। एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि 6.3 तीव्रता का भूकंप आने के बाद सैकड़ों अफगानी महिलाएं अपने घरों में जिंदा दफन हो गईं, क्योंकि वे बिना हिजाब पहने घर से बाहर आने से घबरा रही थीं। उल्लेखनीय है कि पश्चिमी अफगानिस्तान में सात अक्टूबर को आए भूकंप में दो हजार से अधिक लोग मारे गए। इस दौरान चलाए गए राहत अभियान से भी पीड़ितों को मदद नहीं मिल सकी, क्योंकि तालिबानी निर्देशों के मुताबिक ऐसे महिला व पुरुष एकदूसरे के आसपास नहीं आ सकते, जो पहले से एक-दूसरे को पहचानते नहीं हों। बचाव कार्य से जुड़ी एक महिला राहतकर्मी ने खुलासा किया है कि तालिबान के तानाशाह नियमों के कारण पुरुष राहतकर्मियों ने मलबे में फंसी महिलाओं से दूरी बनाए रखी, जिसके कारण बड़ी संख्या में महिलाओं की मौत हो गई। संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसियों का कहना है कि एक बड़े शहर हेरात में भूकंप के शिकार लोगों में 90 प्रतिशत संख्या महिलाओं एवं बच्चों की रही। इलाके के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कासिम सादात ने बताया कि पेशेंट में अधिकांश संख्या महिलाओं एवं बच्चों की थी, क्योंकि जब भूकंप का झटका आया, तब वे घरों के भीतर थे। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रतिनिधि ने बताया कि यदि अफगानिस्तान में भूकंप रात के दौरान आया होता तो हताहतों में लैंगिक असंतुलन बहुत कम होता, क्योंकि ऐसे में पुरुष वर्ग भी कार्यस्थलों पर होने की बजाय घर पर ही होते। पिछले दो वर्षों से भी अधिक समय से तालिबान के द्वारा यह तय किए जाने के बाद कि महिलाएं क्या कर सकती हैं और क्या नहीं कर सकतीं, महिलाएं ज्यादातर अपने घरों में ही कैद रहती हैं।

घर में रहने के कारण नहीं थी किसी से जान-पहचान

संयुक्त राष्ट्र ने खुलासा किया है कि भूकंप से प्रभावित कई महिलाओं को मदद इसलिए नहीं मिल सकी, क्योंकि उनके पास किसी पुरुष रिश्तेदार की पहचान वाला राष्ट्रीय पहचान पत्र नहीं था। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि सांस्कृतिक नियमों के कारण महिलाएं अपने पड़ोसियों के टेंट में भी आश्रय नहीं ले पार्इं। अफगानिस्तान में महिला हितों के लिए तैनात संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि एलीसन डेविडियन ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के समय महिलाएं एवं लड़कियां सर्वाधिक प्रभावित होती हैं, जबकि उन्हें राहत पहुंचाने पर सबसे कम ध्यान दिया जाता है। बता दें, अफगानिस्तान के हेरात शहर के पास 7 अक्टूबर को 6.3 तीव्रता वाले भूकंप से लगभग 12 गांव इस भूकंप से पूरी तरह तबाह हो गए थे।