पश्चिम क्षेत्र की 4 कॉलोनियों में वोट लेने के बाद 5 साल झांकने भी नहीं आए नेताजी
जबलपुर। कहने को ये कॉलोनी हैं मगर मूलभूत सुविधाओं के नाम पर आलम यह है कि लोग चंदा कर खुद के पैसे से चलने लायक सड़क बनाने डस्ट डलवाते हैं। स्ट्रीट लाइट गायब होती हैं सड़कें लापता हैं। जलभराव से लोग हलाकान हैं। वोट लेने के बाद नेताजी झांकते नहीं हैं। ऐसे में जनप्रतिनिधियों के प्रति लोगों में भारी आक्रोश नजर आया। गढ़ा क्षेत्र में गंगानगर, चंदन, गुजराती और नवनिवेश कॉलोनी में हजारों परिवार रहते हैं। सालों से यहां सड़क नाली की मूलभूत समस्या हल नहीं हुई हैं। जनता को मूलभूत सुविधाएं मुहैया न करवा पाने में जिम्मेदारों के बहुत सारे तर्क हैं मगर इनका निदान उनके पास नहीं है,वे सिर्फ आश्वासन देते हैं जिससे लोग उकता चुके हैं।
वैध कॉलोनियों में ये हाल
ऐसा नहीं है कि ये कॉलोनियां अवैध हों जिसके कारण नगर निगम सेवाएं उपलब्ध न करवा सके।यहां की सभी कॉलोनियां पूरी तरह से वैध हैं और यहां पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना नगर निगम की जिम्मेदारी है। इसके बावजूद वोट मांगते समय तो नेता हर तरह के वादे करते हैं मगर जीतते ही सब कुछ भूल जाते हैं।
चुनाव में असर दिखाएगा जनाक्रोश
आने वाले समय में विधानसभा चुनाव हैं जिसमें गढ़ा क्षेत्र की कॉलोनियों के रहवासियों का जनाक्रोश प्रत्याशियों को नजर आएगा,खास तौर पर ऐसे नेता जो पिछली बार वोट मांगकर जो गायब हुए हैं तो अब तक नजर नहीं आए। जनता का आक्रोश इन पर भारी पड़ने वाला है।
जिसे चुना वे खुद एमआईसी में
यहां से जिस पार्षद को चुना वे खुद एमआईसी में हैं और सबसे महत्वपूर्ण विभाग लोक निर्माण विभाग प्रभारी हैं,ऐसे में सड़कों का नेटवर्क तो किया ही जा सकता था। शहर में 250 करोड़ से सड़क निर्माण के काम प्रचलन में हैं मगर इस तरफ जिम्मेदारों की नजरें इनायत नहीं हुई हैं।
जिन्होंने सुख- दुख में साथ देने का वादा किया था वोट लेने के बाद उनका पता नहीं है,जो जीते उनका भी और जो हारे उनका भी। अब देखते हैं किस मुंह से वोट लेने आएंगे। कृष्ण कुमार पाण्डेय, रहवासी
गढ़ा क्षेत्र की हर कॉलोनी नाम की ही कॉलोनी हैं,यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है,अब सड़क, बिजली,पानी,जलप्लावन के लिए यदि गुहारें लगानी पड़े तो हालात समझ लें। प्रशांत मिश्रा, रहवासी।
नेताओं को शर्म तक नहीं आती कि जर्जर सड़कों और जलप्लावन से ग्रस्त होकर महिलाओं को किन परेशानियों से होकर जाना- आना पड़ता है। अब आएं वोट मांगने तो बताएंगे। मेघा यादव, रहवासी।
न नेता सुनते हैं न अधिकारी,पूरी बारिश में पानी भरा रहा मगर किसी ने नहीं सुनीं। सड़क की हालत आप देख ही रहे हैं। लाइट भी नहीं रहतीं। कहीं कोई सुनवाई नहीं है। सविता विश्वकर्मा, रहवासी।