बारिश से भीगे गेहूं की आड़ में औने- पौने दाम पर अच्छे गेहूं की भी नीलामी

बारिश से भीगे गेहूं की आड़ में औने- पौने दाम पर अच्छे गेहूं की भी नीलामी

भोपाल। यह सरकारी तंत्र के मिसमैनेजमेंट की बानगी है कि जिस गेहूं को 1975 रुपए क्विंटल के समर्थन मूल्य पर खरीदा गया और बोरा, हम्माली, परिवहन और भंडारण का खर्च 300 रुपए मिलाकर 2,150 रुपए प्रति क्विंटल का हो गया, उसी गेहूं को सिर्फ 100 से 200 रुपए में नीलाम किया जा रहा है। समर्थन मूल्य पर खरीदा गया गेहूं उपार्जन केंद्रों से परिवहन नहीं होने पर बड़ी मात्रा में बारिश के दौरान भीग गया। अब इसी गेहूं की प्रदेशभर में नीलामी शुरू की गई है। इसके लिए जिला स्तरीय नीलामी समितियां बनाई गई हैं, जिनमें एसडीएम या तहसीलदार सहित करीब दर्जनभर लोग शामिल हैं। यह समितियां भीगे गेहूं की मात्रा निर्धारित करके नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर चुकी हैं, जिसमें व्यापारियों की ओर से मिट्टी के मोल खरीदा जा रहा है। इसमें यह भी नहीं देखा जा रहा है कि हजार बोरों के लाट में वाकई कितना गेहूं खराब है । सूत्रों का दावा है कि 60 से 70 प्रतिशत तक गेहूं अच्छा रहता है। इस गेहूं को व्यापारी बाद में पशु आहार या बीयर बनाने वाली कंपनियों को नीलामी के भाव से दो से चार गुना तक बढ़ाकर बेच देते हैं।

15 से लेकर 500 रुपए प्रति क्विंटल तक ऑफर मूल्य

भोपाल जिले की बैरसिया तहसील में 22 उपार्जन केंद्रों पर खरीदा गया गया गेहूं खुले में पड़ा रहने से बारिश में भीग गया था। इस भीगे गेहूं के खराब होने के आधार पर अब स्थानीय स्तर पर समितियां बनाकर नीलाम करवाया जा रहा है। इसमें 15 से 20 रुपए प्रति क्विंटल से लेकर 100 से लेकर 500 रुपए प्रति क्विंटल तक के ऑफर मूल्य पर बेचा जा रहा है। यही हाल प्रदेशभर का है। इस पूरे मामले की जानकारी वरिष्ठ अफसरों को दी गई है।

भीगने से 30 फीसदी तक ही खराब होता है गेहूं

अभी मंडी से 800 क्विंटल का लाट डेढ़ रुपए किलो पर बिका है। सच तो यही है कि पूरा गेहूं खराब नहीं होता, बल्कि 25 से 30 प्रतिशत ही खराब होता है। इस खराब गेहूं को कैटल फीड वाले या वाइन कंपनी वाले खरीद लेते हैं।