केस जीतने के बाद मिली राशि को जरूरतमंद लोगों में बांट देता है प्रशांत

केस जीतने के बाद मिली राशि को जरूरतमंद लोगों में बांट देता है प्रशांत

शहीद भवन में रविवार को संगीत नाटक अकादमी के सहयोग से चेतना सांस्कृतिक एंव जनकल्याण समिति द्वारा पहली बार नाटक ‘बेटर हाफ’ का मंचन किया गया। आशीष श्रीवास्तव के निर्देशन में नाटक को खेला गया। नाटक की कहानी एक बंगाली वृद्ध जोड़े की जिंदगी के इर्द गर्द घूमती है। 65 वर्षीय प्रशांत चटर्जी और उसकी 62 वर्षीय पत्नी सुधा शादी के 30 साल गुजर जाने के बाद भी एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं। सुधा का अचानक स्वास्थ खराब होने पर डॉक्टर सुधा को एक माइनर ऑपरेशन करवाने की सलाह देता है। सुधा ऑपरेशन के लिए राजी नहीं होती लेकिन प्रशांत के कहने पर वह मान जाती है। ऑपरेशन के दौरान सुधा की जान चली जाती है।

अस्पताल पर केस करता है प्रशांत

सुधा की असमय हुए मौत को न्याय दिलवाने के लिए वह अस्पताल के विरुद्ध कोर्ट केस करने का निर्णय करता है। सुधा के इलाज में प्रशांत का काफी पैसा खर्च हो चूका था और केस के कारण उसकी सारी जमा पूंजी खर्च हो जाती है यहां तक की उसकी पत्नी का मंगलसूत्र भी बिक जाता है। अस्पताल की तरफ से उसे केस वापस लेने के लिए धमकी भरे फोन भी आते हैं लेकिन वह टूटता नहीं। धीरे धीरे उसे भ्रम की बीमारी हो जाती है। उसे पूरे घर में सुधा उससे बात करते हुए दिखाई देती है। नाटक के अंत में वह केस जीत जाता है और उसे अस्पताल से कंपनसेशन के रूप में बीस लाख की राशि मिलती है जिसे वह जरूरतमंद लोगों को बांट देता है। इस तरह वह अपनी पत्नी सुधा की असमय हुए मौत को न्याय दिलवाता है।