भोपाल देश का इकलौता शहर, जिसके 10किमी दायरे में 15से अधिक बाघ

भोपाल देश का इकलौता शहर, जिसके 10किमी दायरे में 15से अधिक बाघ

भोपाल। मप्र, टाइगर स्टेट है, यहां देशभर में सबसे अधिक बाघ हैं। यह बात सभी जानते हैं, लेकिन यह कम लोगों को पता होगा कि भोपाल देश का इकलौता ऐसा शहर है, जिसके 10 किमी के दायरे में 15 से अधिक बाघ हैं। डीएफओ भोपाल आलोक पाठक कहते हैं, हमारी स्टडी के अनुसार अभी तक देश का कोई ऐसा शहर या राजधानी नहीं है, जहां शहर के इतने करीब इतनी बड़ी संख्या में टाइगर हों। उनके अनुसार, न्यू मार्केट को सेंटर पॉइंट मानकर देखें, तो 6 किमी के दायरे में कलियासोत और केरवा के जंगलों में ही 5 टाइगर मौजूद हैं। इनमें से 9-9 महीने के दो शावक भी हैं। ये सभी बाघिन टी-123 के वंशज हैं। टी-123-1, टी-123-2 और दोनों शावक बाघिन टी- 123 के ही बच्चे हैं।

बेहतरीन है भोपाल के आसपास की डायवर्सिटी

डीएफओ पाठक के अनुसार, भोपाल के आसपास की डायवर्सिटी टाइगर फैमिली के फलने-फूलने के लिए अनुकूल है। यहां नेचुरल जंगल हैं। इसके अलावा उनके लिए भरपूर शिकार हैं। कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार, समरधा जंगल से सटे गांवों के मवेशी उनके लिए आसान शिकार होते हैं। इसलिए टाइगर्स यहां दिखाई देते हैं।

कॉरिडोर में है केरवा, कलियासोत जंगल

फॉरेस्ट अधिकारियों के अनुसार, भोपाल के आसपास अधिक बाघ होने का एक कारण यह है कि रातापानी अभयारण्य से जब बाघ सागर-रायसेन आदि के लिए मूव करते हैं, तो समरधा रेंज के अंतर्गत आने वाला केरवा एवं कलियासोत का जंगल इसके कॉरिडोर क्षेत्र में आता है।

शहर के अंदर टाइगर का मूवमेंट

29 अक्टूबर 2015: बाघ टी-7 करोंद स्थित नबी बाग तक पहुंच गया था। करीब 4 घंटे की मशक्कत के बाद उसे रेस्क्यू कर पिंजरे में कैद किया गया।

26 जनवरी 2020: एक बाघ भोज विश्वविद्यालय कैंपस की 13 फीट ऊंची दीवार फांदकर कुलपति जयंत सोनवलकर के गार्डन तक पहुंच गया था।

10 जुलाई 2020: बाघ संस्कार वैली स्कूल जाने वाली सड़क तक आ गया। करीब 15 मिनट तक चहलकदमी करने के बाद जंगल में चला गया।

7 फरवरी 2022: बाघ भोज विवि के कुलपति के घर के गार्डन तक फिर पहुंच गया। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बाघ की पुष्टि की गई।

अप्रैल 2022 : एक महीने में सात बार बाघ वाल्मी परिसर में देखा गया।

इस तरह होती है मॉनिटरिंग : विभाग ने बाघों की निगरानी के लिए पूरे जंगल में बड़े-बड़े टॉवर लगाए गए हैं। इन पर कैमरे लगे हुए हैं। इनके अलावा जगह- जगह ट्रैप कैमरे भी लगाए हैं। साथ ही 2 रिसर्च स्कॉलर्स भी भोपाल वन मंडल के साथ मिलकर यहां के टाइगर पर रिसर्च कर रहे हैं।