लाखों की बायोमेट्रिक हाजिरी डिवाइस हुई कबाड़, अब मोबाइल से हाजिरी का आदेश

लाखों की बायोमेट्रिक हाजिरी डिवाइस हुई कबाड़, अब मोबाइल से हाजिरी का आदेश

ग्वालियर। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के खेल ही निराले हैं यहां पर आउटसोर्स कर्मचारियों के हाजिरी के लिए लाखों की रुपए की लागत से खरीदी गई बायोमैट्रिक हाजिरी मशीन अनदेखी के चलते कबाड़ा हो गई है। यहीं नहीं कर्मचारियों का आरोप है कि अब कंपनी के नए फरमान से उन्हें मजबूरी में 12 से 15 हजार रुपए का मोबाइल लेना होगा। कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना काल से सभी आउटसोर्स कर्मचारियों की हाजिरी बायोमैट्रिक मशीन के माध्यम से लगाई जाती थी, लेकिन कोविड के दौरान इसे अन्य विभाग की तरह बंद कर दिया, लेकिन कोरोना का प्रकोप समाप्त होने के बाद इन मशीनों का प्रयोग नहीं किया जिसके चलते करीब यह कबाड़ा हो गई ।

कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी विभिन्न आउटसोर्ससं विदा- नियमित श्रेणी के कर्मचारियों की नियमित बायोमेट्रिक प्रयास हाजिरी हेतु करीब एक हजार थम्ब व आई डिवाइस मशीनें वर्ष 2015-16 में करीब 25 लाख रुपए में खरीदी थी, यह हाजिरी मशीनें दस साल की गारंटी पीरियड के पहले ही चालू अवस्था में रहने पर भी अब अनुपयोगी हो गई है। इस कारण अनेकों नियमित, संविदा व छोटे पदों के आउटसोर्स कर्मी जैसे चपरासी, फर्राश, माली, सुरक्षा सैनिक कर्मी खासे परेशान हैं। वह बिजली कंपनी द्वारा जारी नई व्यवस्था के तहत महंगा एंड्राइड मोबाइल खरीदने की स्थिति में नहीं है।

अब मोबाइल सेल्फी एप लागू

अभी हाल ही में गत 18 दिसम्बर 2023 को बिजली कंपनी मुख्यालय के महाप्रबंधक (मानव संसाधन एक) ने बाह्य स्रोत आउटसोर्स कार्मिकों हेतु ई- अटेंडेंस पोर्टल 21 दिसम्बर 2023 से लागू किया है, जिसमें इन कर्मिकों को अपनी शत-प्रतिशत ई-अटेन्डेन्स पोर्टल से लगाने के निर्देश जारी हुए हैं। अब से डेढ़ साल पहले तक यह आउटसोर्स कर्मी बिजली कंपनी द्वारा खरीदी गई करीब एक हजार थम्ब व आई डिवाइसों के जरिये अपनी उपस्थिति प्रतिदिन दर्ज कराते थे, पर कोरोना की आड़ में बिजली कंपनी ने यह व्यवस्था बंद कर दी है। और उसकी जगह नई व्यवस्था में बिजली कंपनी अपने कर्मचारियों को ना तो मोबाइल खरीदकर दे रही है और ना ही रिचार्ज हेतु पैसा प्रदान कर रही है। नये एप लागू होने के बाद ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों में नेटवर्क व सर्वर समस्या हरदम बनी रहती है, इससे कर्मचारियों को डर है कि कई बार मोबाइल एप से हाजिरी नहीं लगने पर समय पर आकर काम करने के बावजूद भी उनका हर माह वेतन कट सकता है। इसी तरह 30 से 50 किमी के इलाके में एक या दो संविदा-नियमित लाइन स्टाफ ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात है।

बिजली कंपनी ने जो लाखों रुपए सरकारी खर्च से थम्ब व आइस डिवाइस प्रयास नियमित हाजिरी हेतु खरीदे थे। उन्हें दोबारा सभी कार्यालयों में स्थापित किया जाये, जिससे ऐसे नियमित, संविदा व आउटसोर्स कर्मी जिनके पास मंहगा एंड्राइड मोबाइल फोन नहीं है। नए फरमान से ग्वालियर एवं भोपाल रीजन के 10 हजार आउटसोर्स कर्मचारी परेशान है। मनोज भार्गव,प्रांतीय संयोजक आउटसोर्स कर्मचारी संगठन मप्र