खूनी संघर्ष : मुरैना में एक परिवार के छह लोगों को गोलियों से भूना
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मुरैना। जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर सिहोनिया थाना क्षेत्र के गांव लेपा में शुक्रवार सुबह 6 बजे पुराने विवाद को लेकर दो पक्षों में खूनी संघर्ष हो गया। इसमें एक पक्ष ने दूसरे पक्ष के 6 लोगों को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया। मृतकों में एक पुरुष, उसके दो पुत्र व तीन महिलाएं शामिल हैं। घटना के बाद सभी आरोपी फरार हैं। 7-8 वर्ष पूर्व एक ही परिवार के व्यक्तियों में मवेशी बांधने के स्थान पर गोबर डालने को लेकर विवाद हुआ था। इसमें आरोपी परिवार के 2 लोगों की मौत हो गई थी। बाद में दोनों पक्षों में राजीनामा भी हो गया था कि अब कभी झगड़ा नहीं होगा। इसमें पैसे का लेनदेन कर गवाह के बयान बदल देने की बात हुई थी। शुक्रवार सुबह मृतक परिवार गांव में पहुंचा तो झगड़ा शुरू हो गया। इसके बाद एक पक्ष ने फायरिंग कर 6 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
तीन घायलों का चल रहा इलाज
मृतकों में सत्यप्रकाश सिंह पुत्र गजेंद्र सिंह तोमर, संजू सिंह पुत्र गजेंद्र सिंह, बबली पत्नी नरेंद्र सिंह, लेस कुमारी पत्नी वीरेंद्र सिंह, मधु कुमारी पत्नी सुनील तोमर, गजेंद्र सिंह पुत्र बदलू सिंह शामिल हैं। विनोद सिंह पुत्र सुरेश सिंह, वीरेंद्र पुत्र गजेंद्र सिंह सहित तीन लोग घायल हैं। उन्हें जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।
बगल का गांव दस्यु पानसिंह तोमर का
लेपा से लगा गांव भिड़ोसा पूर्व से ही चर्चित रहा है, क्योंकि दस्यु पानसिंह तोमर वहीं का रहने वाला था। उस पर एक फिल्म का निर्माण भी किया गया है।
लेपा गांव में 6 लोगों की हत्या की गई है। कुछ लोगों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। आरोपी पक्ष फरार है। गांव में किसी प्रकार की अप्रिय घटना न घटे, इसके लिए फोर्स तैनात है। - डॉ. रायसिंह नरवरिया, एएसपी, मुरैना
जाके बैरी सम्मुख बैठो, ताको जीवन धिक्कार’
ये पुरानी कहावत आज भी चंबल इलाके में रह-रहकर अपना वजूद पैदा कर ही देती है। इसका अर्थ है- जिसका दुश्मन सामने है, उसका जीवन धिक्कार है। जैसे, यूनानी किंवदंतियों में पाया जाने वाला फीनिक्स पक्षी राख से दोबारा जन्म लेता है, वैसे ही यहां प्रतिशोध की आग कब दोबारा दावानल बन कर क्या करा बैठे? किसी को समझ नहीं आ सकता। चंबल के पानी की तासीर कहें या यहां की हवा, जो बदला लिए बगैर मानती ही नहीं है। यहां प्रतिशोध लेने की आग इस कदर दावानल बन जाती है कि फिर घर, परिवार और बच्चे, यहां तक कि पूरा जीवन आदमी दांव पर लगा कर फूंक देता है। मुरैना में भी शुक्रवार सुबह ऐसे ही दिल दहला देने वाला भीषण नरसंहार के लाइव वीडियो देख हर किसी का मन व्यथित है। हमें ये सोचना होगा कि जहां प्रदेश और अंचल रोजगार व व्यवसाय के नए आयाम स्थापित कर रहे हैं, वहां हमारा चंबल अंचल इतना पिछड़ा क्यों है? यहां शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे क्यों प्रभावी नहीं हैं? यहां केवल पॉवर के लिए राजनीति ही सर्वोपरि है। कोई भी राजनेता यहां सम्पन्नता और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए प्रयासरत नहीं दिखता है। इसके लिए काफी बड़े बदलाव के साथ राजनीति का ढंग भी बदलना बेहद जरूरी होगा। संभवत: नई पीढ़ी इस रचनात्मकता के साथ राजनीति का ढंग बदल सके।