गिर के बाद ग्वालियर में हुई बब्बर शेर की ब्रीडिंग, 30 साल बाद बढ़ा कुनबा

गिर के बाद ग्वालियर में हुई बब्बर शेर की ब्रीडिंग, 30 साल बाद बढ़ा कुनबा

ग्वालियर। गिर में बब्बर शेर की तादाद भले ही गुजरात के लिए फख्र की बात हो, लेकिन ये भी कम नहीं कि ग्वालियर में 30 साल बाद शेरों का कुनबा बढ़ा है। ये अपने आप में खुशखबरी ही रही कि गिर के बाद कहीं चिड़ियाघर में ब्रीडिंग सफल हुई हो। अब ग्वालियर में 5 बब्बर शेर हैं। श्योपुर के कूनो में अफ्रीका से चीते लाने की मशक्कत जोरों पर है, वहीं ग्वालियर में जंगल के राजा बब्बर शेर का कुनबा डेढ साल पहले बढ़ा। कोविड काल में ऐसे समय में यहां गांधी वन्य प्राणी उद्यान की शेरनी परी ने तीन शावकों को जन्म दिया। यहां भी पूरे 30 साल बाद शेर का कुनबा बढ़ा है। अब शावक डेढ़ साल के हो चुके हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं। इनमें दो नर और एक मादा है। चिड़ियाघर प्रबंधन के मुताबिक ये कैप्टिविटी में यहां पहली बार बब्बर शेर की सफल ब्रीडिंग हुई है। अब तक शेरों की ब्रीडिंग केवल गुजरात के गिर में होती रही है। ग्वालियर के गांधी वन्य प्राणी उद्यान में तीन शावक होने से लाइफ के लिहाज से ये मप्र के लिए ये बेहद गौरव की बात है।

ब्रांडिंग सपना था इसलिए मादा का नाम रखा तमन्ना

जानकारों के मुताबिक़ बब्बर शेर की ब्रीडिंग चिड़ियाघर में होना अपने आप में बड़ी बात है। ऐसे में ग्वालियर जू क्यूरेटर गौरव परिहार और डॉ. उपेन्द्र यादव ने गर्भवती शेरनी की बेहद गंभीरता से देखरेख की। कोविड काल में शेरनी ने तीन बच्चों को जन्म दिया। इसमे मादा शावक का नाम तमन्ना रखा और बाक़ी दो नर का नाम इंजतार और अर्जुन है।

कैप्टिविटी में लॉयन ब्रीडिंग नहीं करते हैं

हमने कोविड काल में अपने चिड़ियाघर का शेरनी से सफल प्रजनन कराया है। ये ग्वालियर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के के लिये गौरव की बात है। कैप्टिविटी में लॉयन ब्रीडिंग न के बराबर करते हैं। - गौरव परिहार, क्यूरेटर गांधी वन्य प्राणी उद्यान, ग्वालियर