बजट आज: शिक्षा और रोजगार के साथ स्वास्थ्य पर होगा फोकस

साल 2023 में देश के कुल नौ राज्यों में चुनाव भी होने हैं, जिनमें मप्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैण्ड और मिजोरम शामिल हैं। अगर जम्मू और कश्मीर को भी जोड़ लिया जाए तो कुल 10 राज्यों में चुनाव होंगे। इसके साथ ही अगले वर्ष लोकसभा चुनाव भी होंगे, इसलिए यह बजट मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल का अन्तिम पूर्ण बजट होगा। कोविड-19 की विकट परिस्थितियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत और प्रगतिशील बनी हुई है, ऐसे में प्रबल संभावना है कि यह बजट अत्यन्त लोक-लुभावना हो सकता है।
]इन बातों पर सरकार का फोकस हो सकता है
1. महंगाई - लोगों को चुनावों में मुख्य रूप से महंगाई याद आती है, अत: सरकार लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए इस पर कुछ न कुछ बडेÞ उपाय जरूर करेगी, जिससे जनता का भरोसा फिर से जीता जा सके।
2. रोजगार- दूसरा अहम विषय अगले 15 महीनों में आम चुनाव से पहले युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है। इस मोर्चे पर केंद्र खास ध्यान देगी और लोगों की आजीविका के उपायों पर जोर देगी।
3. अधोसरंचना विकास और सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं पर खर्च बढेÞगा-मध्यम और निर्धन आय वर्ग के लोगों को साधने के लिए सरकार अधोसंरचना विकास, सामाजिक कल्याण, सहायता, अनुदान, सस्ते व सुलभ ऋण जैसी योजनाओं पर अधिक धन आवंटित करेगी।
4. कृषि क्षेत्र पर फोकस होगा- कृषकों की आय बढ़ाने के लिए कृषि लोन, कृषि उत्पादन और बिक्री हेतु बाजार, कृषि तकनीक, कृषि बीमा, किसान सम्मान निधि और मनरेगा के तहत आवंटन बढ़ने की पूरी उम्मीद है।
5. स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर- कोरोना से उपजे संकट को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं जैसे अस्पताल, डॉक्टर की उपलब्धता, सस्ती दवाई, उपचार स्वास्थ्य बीमा/आयुष्मान योजना आदि का विस्तार व दायरा बढ़ने की उम्मीद।
6. टैक्स बेनीफिट में राहत की आस- महंगाई की मार को देखते हुए, मध्यम वर्ग को टैक्स स्लैब में छूट बढ़ सकती है। अभी 2.5 लाख रुपए तक की आय पर कोई कर नहीं है, इसमें वर्ष 2014-2015 से कोई बदलाव नहीं हुआ है। आगामी बजट में आयकर सीमा में छूट बढ़ाकर 5 लाख रुपए होने की सम्भावना है।
7. पेट्रोलियम प्रोडक्ट- डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग लंबे समय तक उठती रही है। सरकार पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को काबू में लाने हेतु कुछ उपायों की घोषणा कर सकती है।
8. शिक्षा क्षेत्र- युवाओं को देखते हुए सस्ती, सुलभ और रोजगारपरक शिक्षा ( तकनीकी और मेडिकल) पर जोर होगा। इसके लिए शिक्षा सहायता योजनाएं और सस्ता शिक्षा ऋण सुविधा जैसे विकल्प हो सकते हैं।
9. कृषि- कृषि कारोबार से जुड़ी फर्मों और व्यवसाइयों को कर स्लैब में बड़ी राहत मिल सकती है, जिससे कृषि से आय, बाजार तथा कृषकों के मुनाफों में वृद्धि हो सके।
10. आवास ऋण सहायता बढ़ने की आशा- आयकर की धारा 24(बी) के अनुसार, आवास ऋण पर लगने वाले ब्याज पर छूट ले सकते हैं। इसमें वर्ष 2014-15 से कोई बदलाव नहीं हुआ है।