सीएएए : असम, केरल, दिल्ली में विरोध प्रदर्शन, चुनावी मुद्दा बना
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा - तमिलनाडु में लागू नहीं करेंगे यह कानून
गुवाहाटी। सशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में असम, केरल व दिल्ली में विरोध प्रदर्शन हुए। केरल में यह लोकसभा चुनाव के लिहाज से एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। केरल में माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं और राज्य सरकार सीएए लागू करने के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने पर भी मंथन कर रही है। वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि इसे उनके राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। मंगलवार को पूरे असम में विरोध-प्रदर्शन हुआ तथा इस कानून की प्रतियां जलाई गईं। असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद ने लखीमपुर में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के पुतले फूंके, जबकि कांग्रेस ने सीएए लागू किए जाने के विरोध में जिले के विभिन्न हिस्सों में इस कानून की प्रतियां जलाईं। दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र समूहों ने विरोध प्रदर्शन किया और इसे वापस लेने की मांग की।
पोर्टल शुरू, जल्द लांच होगा मोबाइल ऐप
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र लोगों के लिए मंगलवार को एक पोर्टल लॉन्च किया। पात्र व्यक्ति इस पोर्टल पर नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। मंत्रालय ने कहा मोबाइल ऐप के माध्यम से आवेदन की सुविधा के लिए शीघ्र ही एक मोबाइल ऐप सीएए-2019 भी जारी किया जाएगा।
अमेरिका शरणार्थियों को मिलेगा मानवाधिकार : हिंदू ग्रुप
वाशिंगटन। अमेरिका के हिंदू संगठनों ने कहा है कि सीएए अमेरिका में धार्मिक शरणार्थियों के लिए लागू लॉटेनबर्ग संशोधन को प्रतिबिंबित करता है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) की कार्यकारी निदेशक सुहाग शुक्ला ने कहा, भारत का नागरिकता संशोधन अधिनियम काफी समय से लंबित था और यह कानून आवश्यक है। यह भारत में कुछ सबसे कमजोर शरणार्थियों की रक्षा करता है। यह उन्हें वो मानवाधिकार प्रदान करता है जिनसे उन्हें उनके देश में वंचित कर दिया गया था।
रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक अर्जी दायर कर सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित रहने तक नागरिकता संशोधन नियम, 2024 के अमल पर रोक लगाने का केंद्र को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने अदालत से अनुरोध किया है कि पूर्व में दायर याचिकाओं का निपटारा किए जाने तक इस कानूर पर रोक लगाई जाए।
सरकार ने कहा भारतीय मुसलमानों को चिंता की जरूरत नहीं, उन्हें हिंदुओं के समान अधिकार मिलते रहेंगे
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि सीएए पर भारतीय मुसलमानों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस कानून में उनकी नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान नहीं है। इस कानून का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है जिनके पास अपने समकक्ष हिंदू भारतीय नागरिकों के समान अधिकार हैं। मंत्रालय ने सीएए के संबंध में मुसलमानों और छात्रों के एक वर्ग की आशंका को दूर करने की कोशिश करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि इस कानून के बाद किसी भी भारतीय नागरिक को नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश करने के लिए नहीं कहा जाएगा।