कॅरियर और परिवार दोनों ही प्राथमिकता : दीया मिर्जा
अभिनेत्री और मिस एशिया पेसिफिक रहीं दीया मिर्जा इन दिनों अपनी फिल्म ‘भीड़’ के लिए चर्चा में हैं। दीया को अभिनय के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाने में समय लगा, लेकिन वह एक सशक्त अभिनेत्री के रूप में खुद को साबित कर चुकी हैं। दीया ने साफ कहा कि अब कॅरियर और परिवार दोनों ही उनकी प्राथमिकता में हैं। उन्हें पता है कि इन्हें कैसे मैनेज किया जाए।
भीड़ से जुड़े अनुभव
लॉकडाउन हर किसी के लिए अपने-अपने स्तर पर बेहद मुश्किल दौर था। ‘भीड़’ में हमने इसी को सबके सामने लाने की कोशिश की है। इसमें कई इमोशनल लम्हे हैं। लॉकडाउन में कितने ऐसे अभागे लोग थे, जो माता-पिता के गुजरने पर उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए। मगर सबसे ज्यादा मुझे झकझोरा माइग्रेंट्स ने। इनका वजूद तो एक तरह से मर ही गया था न? उनके साथ बहुत गलत हुआ। जो लोग महीनों पैदल चलते रहे अपने गांव पहुंचने के लिए, उनके विजुअल्स ने भी मुझे बहुत द्रवित किया। मगर इन तमाम दुखद हादसों के साथ जो एक चीज अच्छी हुई, वो ये कि ह्यूमन एक्टिविटी को कुछ समय पॉज मिल गया था। इससे हवा साफ हो गई, प्रकृति उभर कर सामने आई। जानवर शहरों की सड़कों पर नजर आने लगे।
मुद्दे आधारित फिल्में चाहती हूं
मुझे लगता है अब फिल्मों में महिला किरदार कई लेयर्स में नजर आती हैं। मैं खुद 'संजू', 'काफिर', 'डर', 'थप्पड़' जैसी तमाम फिल्मों में मेरे अर्थपूर्ण रोल में नजर आई हूं। काफी अरसे से हमने दहेज प्रथा पर कुछ देखा नहीं है। ये अभी भी हमारे देश में होता है, मगर इसी के साथ कई दमदार कहानियां भी हैं, जहां लड़कियों ने दहेज के नाम पर शादी से इनकार कर दिया और मंडप से उठ गर्इं। इस पर कोई फिल्म बननी चाहिए।
अनुभव सर से पुराना कनेक्शन
मैं अनुभव सिन्हा सर को पिछले 23 सालों से जानती हूं। मैंने उनके साथ एक म्यूजिक वीडियो और ‘दस’ तथा ‘कैश’ जैसी फिल्में कीं। ‘मुल्क’ देखने के बाद जब हमारी मुलाकात हुई तो मैंने उन्हें सामने से जाकर कहा कि प्लीज अपनी फिल्मों में मुझे कास्ट कीजिए। फिर मुझे ‘थप्पड़’ के लिए कॉल आया। उनके साथ काम करते हुए महसूस हुआ कि फिल्मों को लेकर उनकी सोच कितनी अलहदा है। वह उन फिल्मकारों में से हैं, जो इंसानियत के मुद्दे पर संवेदनशील सिनेमा बनाते हैं।
बच्चों को समय जरूर देती हूं
हर मां को लगता है कि वो दुनिया की इकलौती मां है और सबसे बेस्ट है। मुझे लगता है कि एक मां जो अपने बच्चे को बेस्ट चीज दे सकती है, वो हैं अनडिवाइडेड अटेंशन और अपना समय। जब मैं अपने बच्चों के साथ होती हूं, तब उन्हीं के साथ होती हूं। बेटा अभी बहुत छोटा है। वहीं बेटी समायरा इस महीने के आखिरी में 14 साल की हो जाएगी, तो आप समझ सकती हैं कि घर में एक टीनेजर और एक टॉडलर है और दोनों को संभालना कितना चैलेंजिंग और इंटरेस्टिंग होता होगा। समायरा भी अपने भाई की छोटी मां ही है।