अहमदाबाद में ज्यादा जी रहीं सर्वाइकल कैंसर की मरीज

अहमदाबाद में ज्यादा जी रहीं सर्वाइकल कैंसर की मरीज

नई दिल्ली। देश में कैंसर का इलाज हर जगह एक जैसा नहीं हो रहा है। यह खुलासा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में किया गया है, जिसमें पता चला कि सर्वाइकल कैंसर की मरीज गांव की तुलना में शहर में ज्यादा समय तक जिंदगी जी रही हैं। इसकी मुख्य वजह गांव, दुर्गम स्थान या फिर पहाड़ी राज्यों से ज्यादा शहरों में कैंसर उपचार के संसाधन होना है। अध्ययन के अनुसार, भारत में 51.7 फीसदी मरीज सर्वाइकल कैंसर का पता लगने के बाद पांच साल तक जीवित रह रही हैं। हालांकि भौगोलिक आधार पर देखें तो कैंसर का इलाज और रोकथाम के तौर तरीके एक जैसे नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि गुजरात में सर्वाइकल कैंसर की मरीज ज्यादा समय तक जिंदगी जी पा रही हैं, जबकि त्रिपुरा और पूर्वोत्तर राज्य में ऐसे लोगों की संख्या बेहद कम है। शोध के अनुसार देश में सबसे ज्यादा 61.5 फीसदी मरीज अहमदाबाद में पांच साल तक जीवित रह पा रहे हैं, जबकि त्रिपुरा में सबसे कम 31.6 फीसदी, तिरुवनंतपुरम 58.8, कोल्लम 56.1, मुंबई 53.9, मणिपुर 43.6, पासीघाट 39 फीसदी है।

भारत में सर्वाइकल कैंसर से 23% महिलाओं की मौ

लैंसेट की रिपोर्ट अनुसार सर्वाइकल कैंसर से पूरी दुनिया में 40% महिलाओं की मौत हो चुकी है। लैंसेट के अनुसार इसमें भारत टॉप पर है। इसके बाद दूसरा नंबर चीन का है। भारत में जहां 23% महिलाओं की मौत का कारण सर्वाइकल कैंसर है। वहीं चीन में 17% है। वहीं साल 2020 में ग्लोबल लेबल पर सर्वाइकल कैंसर के लगभग 6,04,127 नए मामले सामने आए थे।

देश में हर पांच में से चार महिला इस रोग से पीड़ित

सर्वाइकल कैंसर की मुख्य वजह उच्च मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) का प्रसार है। भारत में हर पांच में से चार मरीज इस वायरस से ग्रस्त हैं। हाल ही में इस कैंसर से बचने के लिए दिल्ली एम्स ने सफल टीका परीक्षण किया।

सर्वाइकल कैंसर क्या ह

सर्वाइकल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है, जो यूटरस के सेल्स में होता है। ये आमतौर पर गर्भाशय के निचले हिस्से जो कि वजाइना से जुड़ा रहता है। ये पिलोमावायरस के कारण होता है। समय-समय पर स्क्रीनिंग टेस्ट और एचपीवी संक्रमण से बचा जा सकता है

7 राज्यों के हॉस्पिटल का किया गया अध्ययन

आईसीएमआर के अधीन बेंगलुरु के राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान और अनुसंधान केंद्र (एनसीडीआईआर) ने देश के 38 में से 11 कैंसर रजिस्ट्री के साथ किया है। साल 2012 से 2015 के बीच कुल 5,591 मरीजों को इसमें शामिल किया, जो केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, असम, मिजोरम, गुजरात और कर्नाटक के अस्पतालों में कैंसर ग्रस्त पाई गईं।

1जागरूकता लाने के लिए किया गया शोध्1

अध्ययन के निष्कर्षों से नीति निर्माताओं को स्वास्थ्य प्रणाली में असमानताओं की पहचान करने और उन्हें दूर करने में मदद मिलेगी। साथ ही हम जागरूकता, कैंसर की शीघ्र जांच और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार पर फिर से जोर दे सकते हैं। - प्रो. कृष्णन सतीश कुमार, वरिष्ठ शोधकर्ता, एनसीडीआईआर