कूनो में चूहों के बिल भरने के बाद आएंगे साउथ अफ्रीका से चीते

जबलपुर। मध्य प्रदेश के कूनो में दूसरे फेस में साउथ अफ्रीका नामीबिया से चीते तभी आ पाएंगे जब इन चीतों के लिए तैयार क्वारेंटाइन का बाड़े में चूहों के बिल भरे जाएंगे। विशेषतौर पर कमेटी ने इसके लिए इस बात को लेकर जोर दिया है कि चूहों से चीतों में लेप्टोस्पाइरा नामक संक्रमण का खतरा हो सकता है। लिहाजा इसके लिए सबसे पहले काम किया जाए।
जबलपुर से वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ. पोद्याडे शामिल
चीतों को लाये जाने से पहले केंद्र सरकार की पांच सदस्यीय हाई लेबल क्वारेंटाइन कमेटी में वेटरनरी यूनिवर्सिटी के वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ. देवेन्द्र पोद्याडे को भी शामिल किया गया है। डॉ. पोद्याडे ने बताया कमेटी ने क्वारेंटाइन के लिए तैयार बाड़ों का निरीक्षण किया था। इसमें क्वारेंटाइन बाडे में चूहों के बिल भरे जाने के साथ उनके बैठने के लिए बनाए गए प्लेटफार्म में चीतों के चढ़ने के लिए सीढ़ियों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। साथ ही बाड़े में प्रवेश के पहले एक हौदी तैयार की जाए। इसमें केमिकल भरा जाए ताकि यहां से गुजरने वाले किसी भी व्यक्ति के पैरों से संक्रमण अंदर न पहुंच पाए। इस तरह चीतों के संबंध में निर्देश दिये गये हैं।
तैयार किये गए हैं 8 बाडे
जानकारी के मुताबिक कूनो में नामिबिया से आने वाले 12 चीतों को क्वारेंटाइन किये जाने के लिए 8 बाडेÞ तैयार किये गये हैं। अब इन बाड़ों को कमेटी के बताए गए निर्देशों के मुताबिक फिर से सुधार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पांच वैज्ञानिकों की टीम में आईवीआरआई बरेली से प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अभिजीत पावडे, हैदराबाद से डॉ. सोनिया शर्मा, दिल्ली से डॉ. वेंकटेशन व जबलपुर से डॉ. देवेन्द्र पोद्याडे और भोपाल से डॉ. अश्विन राउत शामिल है।
चूहों से फैलता लेप्टोस्पाइरा
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ. पोद्याडे ने बताया कि चूहे के पेशाब में लेप्टोस्पाइरा के जीवाणू होते हैं। चूहे अक्सर जहां-तहां पेशाब करते हैं। चीते जैसे कैट फैमिली वाले वन्य जीव जब अपनी टेरेटरी बनाते है तो अलग से आने वाली गंध की पहचान के लिए नजदीक से सूँघते हैं। ऐसा करने के दौरान सांस के साथ लेप्टोस्पाइरा का जीवाणू वन्यजीव के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह बैक्टीरिया लीवर और किडनी को खराब करता हैं। ऐसे में चूहों का प्रवेश किसी भी हाल में इन बाड़ों में होना बेहद गंभीर हो सकता है।