निगम फार्मेट में नामातंरण विज्ञप्ति प्रकाशित करा फंसे आम लोग, अधिकारी कर रहे मनमानी

निगम फार्मेट में नामातंरण विज्ञप्ति प्रकाशित करा फंसे आम लोग, अधिकारी कर रहे मनमानी

ग्वालियर। संपत्ति नामातंरण के लिए निगम द्वारा दिए फार्मेट में खुद की विज्ञप्ति प्रकाशित करवाना आम लोगों के लिए जी का जंजाल बन गया है। माहौल यह है कि निगम अधिकारियों द्वारा दिए फार्मेट पर विज्ञप्ति प्रकाशित करवाने पर नामातंरण पर बिना आदेश किए रोक लगवा दी है। साथ ही तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर अपने द्वारा दिए आदेश के बाद फार्मेट पर व आम लोगों से 3 हजार से ज्यादा राशि वसूली के मामले में लीपापोती के खेल में लग गए है। निगम प्रशासक एमबी ओझा के संकल्प पर संपत्तिकर शाखा द्वारा निगम स्वामित्तव की मासिक लायसेंस शुल्क/किराये पर आवंटित दुकानों के लायसेंसियों के नामाकंन/नामातंरण हेतु 5000 हजार जमा करवाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन खर्च ज्यादा होने पर प्रशासक के पुन: संकल्प में राशि जमा न करवाने के चलते दो समाचार पत्रों में व उनकी प्रति देने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद आम लोगों ने निगम अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव द्वारा 25 जोनों पर तैनात कर संग्रहकों को विभागीय व्हाट्सअप ग्रुप पर दिए विज्ञप्ति प्रकाशन का फार्मेट दे दिया और निगम द्वारा दिए फार्मेट में जुलाई के अंतिम सप्ताह से विज्ञप्ति प्रकाशित होने लगी और अगस्त भर विज्ञप्ति प्रकाशन के बाद सिंतबर के पहले सप्ताह में निगम के अधिकारियों ने फार्मेट में एक साथ कई नामों को लेकर आपत्ति कर नामातंरण रूकवा दिए।

खुद करवा रहे है उसी फार्मेट में विज्ञप्ति प्रकाशित

निगम द्वारा आवेदक को विज्ञप्ति में एक साथ कई नाम प्रकाशित करवाने पर आपत्ति जताई है। लेकिन इसमें अह्म्म बात यहै कि प्रशासक के संकल्प व निगमायुक्त संदीप माकिन के आदेश में सिंगल नाम के लिए बाध्यता नहीं है। साथ ही निगम उसी फार्मेट में कई-कई लोगों के नाम प्रकाशित करवा रहा है।

गलती छिपाने के लिए बना दी है जांच कमेटी

जानकारों की मानें तो निगम अधिकारियों ने खुद फार्मेट देने की गलती छिपाने के लिए तीन सदस्यीय (अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव, मुकुल गुप्ता व राजस्व शाखा के लोकेन्द्र चौहान) जांच कमेटी बना दी है। साथ ही कर संग्रहको व नामाकंन बाबूओं से विज्ञप्ति प्रकाश के नाम पर दबाव बनाकर भागीदारी जानने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही कुछ बाबूओं को विशेष टारगेट भी किया जा रहा है।

इनका कहना है कि

निगम द्वारा दिए फार्मेट पर आपत्ति नहीं करना चाहिए। आम लोगों को परेशान होने के मुद्दे पर निगम अफसरों से पूछा जाएगा। लोगों को आर्थिक हानि व परेशान नहीं होनें देंगे।

प्रद्युम्न सिंह तोमर, ऊंर्जा मंत्री, मध्यप्रदेश शासन

कुछ को स्वीकृति देकर कुछ पर लगाई रोक

निगम द्वारा दिए फार्मेट में आवेदक द्वारा विज्ञप्ति प्रकाशित करवाने पर निगम अधिकारियों की चालकी उस समय फेल हो गई। जब उन्हें पता लगा कि इस फार्मेट में कुछ विज्ञप्ति प्रकाशित होने के बाद नामातंरण स्वीकृत हो गए है और कुछ फाइलों में ही नामातंरण होना शेष है। हालांकि इसके बाद भी मनमानी पर अमादा अधिकारियों ने निगम अधिकारियों ने बिना आदेश कर पूरी प्रोसेस रोक दी।