प्रशांत मेहता के दबाव में हो रहा है स्मार्ट सिटी में भ्रष्टाचार, महापौर बोलीं-मुझे से बुरा कोई नहीं होगा
ग्वालियर। पार्षद ब्रजेश श्रीवास द्वारा महापौर की मीटिंग में कमिश्नर द्वारा सुने न जाने पर सत्तापक्ष उखड़ गया। जिसके बाद विधायक प्रतिनिधि कृष्णराव दीक्षित ने कहा स्मार्ट सिटी में प्रशांत मेहता के दबाव में भ्रष्टाचार हो रहा है, जिसका मेरे पास प्रूफ है। इसके बाद महापौर डॉ. शोभा सिकरवार ने हिदायत देते हुए कहा कि ब्रजेश श्रीवास को वैसे तो कुछ नहीं है, उन्हें केवल मैं टारगेट पर दिखती हूं, लेकिन वे अपनी गरिमा का ध्यान रखें। क्योंकि महापौर एक महिला है और किसी महिला पर उंगली उठाई, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। वहीं पार्षद ब्रजेश श्रीवास द्वारा नेता प्रतिपक्ष हरिपाल को अमृत योजना की जांच में लेटलतीफी बताते ही एक बार फिर मामला बिगड़ गया।
जिसके बाद आरोपों से नाराज हरिपाल ने चिल्लाते हुए सदन में हंगामा कर कड़े शब्दों का उपयोग कर दिया। मंगलवार को जल विहार स्थित निगम परिषद कार्यालय में दोपहर 2 बजे बैठक शुरू होते ही स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर बहस शुरू हुई। जिसमें पार्षद मनोज राजपूत ने कहा कि स्मार्ट सिटी का बोर्ड लगाने से शहर स्मार्ट नहीं हो जाता। उनके द्वारा बनाई सड़कों को देख लें उन पर भी गड्ढे मिल जाएंगे, नहीं मिले तो इस्तीफा दे दूंगा। पार्षद अवधेश कौरव ने कहा कि स्ट्रीट लाइट सुधार व्यवस्था ठप हो चुकी है और थीम रोड खोदकर बनाने में पैसे की बर्बादी की गई है, आज भी वहां पानी भरता है और उसे निगम की मशीनों से निकलवाना पड़ता है, इनके कामों की जांचों होना जरूरी है।
पार्षद नागेन्द्र राणा ने कहा कि निगम सीमा में स्मार्ट सिटी काम कर रहा है, क्या इसके लिए एमआईसी या परिषद से स्वीकृति ली गई है। नहीं ली गई तो बिना अनुमति कैसे काम हो रहा है और अधिकारी चुप क्यों हैं। इन मुद्दों पर आयुक्त हर्ष सिंह ने बताया कि 1000 करोड़ के कामों पर 80 प्रतिशत कार्य होने पर अगले फेस का पैसा मिलता है। एचपीएल लाइट सुधार का काम एग्रीमेंट के हिसाब से नहीं कर रहा है, इसलिए भुगतान ही कर रहे हैं। इसके बाद सभापति मनोज तोमर ने आसंदी से निर्देश दिए कि स्मार्ट सिटी के कार्यों की समीक्षा कर एक माह में समन्वयक प्रस्ताव प्रस्तुत करें।
निगम का सबसे बड़ा घोटाला हुआ है अमृत में
कांग्रेस-भाजपा के पार्षदों ने अमृत योजना में हुए कार्यों को कोसते कर सामूहिक रूप से स्वीकार्य किया कि निगम में अमृत फेस -1 में निगम का सबसे बड़ा घोटाला हुआ है और अमृत के ठेकेदारों द्वारा माइनिंग के बिल दिए बिना भुगतान पाने के मुद्दे को उठाकर बिल फाइनल करने के पहले जांच की मांग की गई। साथ ही पार्षदों ने अपने-अपने वार्डों में अमृत योजना में लाइन डालने के बाद भूलने व 15वें वित्त से अधूरे कार्यों को करवाने के मामले को उठाया। इसके बाद निगमायुक्त से पूछने पर बताया गया कि समस्या का निराकरण कराया जाएगा। फिर सभापति ने निर्देश दिए कि अमृत योजना एवं 15वें वित्त फाइनेंस के अंतर्गत पूर्व में गठित कमेटी को 15 दिन में दस्तावेज देने के निर्देश दिए। वहीं विधायक प्रतिनिधि ने अपने पास मौजूद 8 हजार पेज की जानकारी देने की पेशकश की।
आरके शुक्ला का हो चुका है ट्रांसफर तो कैसे ले रहे हैं काम, हो कार्रवाई
अमृत के कार्यों पर चर्चा में पार्षद मोहित जाट ने कहा कि इंजीनियर आरके शुक्ला का ट्रांसफर हो चुका है और निगम में हम उनसे कैसे काम ले रहे हैं, जबकि उनके काम करने के खिलाफ विधानसभा में सवाल लग चुका है, लेकिन ऐसा कौन सा दबाव है कि उन्हें हटाया नहीं जा रहा है। वहीं पार्षद ऊषा गिर्राज मावई ने 8 महीने से टेंडर न लगाने पर आरके शुक्ला पर कार्रवाई की मांग की, तो पार्षद रेखा त्रिपाठी ने आरके शुक्ला द्वारा उनसे जोर से बोलने की बात की।
भड़के नेता प्रतिपक्ष, मुझे अपने पुराने दौर में न लौटाओ, जब निगम मुझसे थर्राती थी
नेता प्रतिपक्ष हरिपाल द्वारा निगम अधिकारियों के बैठक में न आने की बात सभापति मनोज तोमर ने जबरिया बैठाने के साथ ही भाजपा पार्षदों में खींचतान दिख गई थी। इसके बाद भाजपा पार्षद ब्रजेश श्रीवास द्वारा 6 महीने पहले नेता प्रतिपक्ष के साथ गठित अमृत की जांच कमेटी को रूचि न लेने व मिले होने की बात कही। जिस पर परिषद में नेता प्रतिपक्ष ने आरोप पर हंगामा कर दिया। साथ ही कहा कि मुझे अपने पुराने दौर में न लौटाओ, जब निगम मुझसे थर्राती थी और तुम जैसे मेरे लिए आज भी कुछ नहीं हो।