युद्ध और महामारी से आधी दुनिया में कमजोर हुआ लोकतंत्र

युद्ध और महामारी से आधी दुनिया में कमजोर हुआ लोकतंत्र

स्टॉकहोम। दुनिया में जितने लोकतांत्रिक देश हैं उनमें से आधे में लोकतंत्र कमजोर हुआ है, यहां तक अमेरिका भी इस पतन से अछूता नहीं है। स्वीडन स्थित इंटरनेशनल थिंक टैंक आइडिया ने कहा कि यूक्रेन युद्ध, कोविड-19 एवं आर्थिक संकट के कारण यह स्थिति और खराब हुई है। थिंक टैंक के महासचिव केविन कसास जामोरा ने कहा कि हमें लोकतंत्र के सम्मुख गंभीर विपरीत परिस्थितियां नजर आ रही हैं। यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के परिणामस्वरूप तथा महामारी के कारण शुरू हुए आर्थिक संकट से राजनीति में आई गिरावट के कारण स्थिति और अधिक बुरी हुई है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में इस पतन को चुनावों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने, कानून के शासन पर हमले या फिर सिविक स्पेस पर अवरोध के रूप में देखा जा सकता है।

अमेरिका में लोगों की स्वतंत्रता पर खतरा

जिन देशों में लोकतंत्र का पतन सबसे ज्यादा हुआ है उनमें अमेरिका सहित सात देश शामिल हैं। पिछले वर्ष यह संख्या 6 थी। लेकिन वर्ष 2022 में इस सूची में अल साल्वाडोर का नाम और जुड़ गया है। इस सूची के अन्य देशों में ब्राजील, हंगरी, भारत, मॉरीशस एवं पोलैंड के नाम शामिल हैं। जामोरा ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में राजनीतिक धु्रवीकरण, संस्थागत खामियां तथा लोगों की आजादी पर खतरा मंडरा रहा है।

तानाशाही की ओर बढ़ रहे दुनिया के 27 देश

इंटरनेशनल थिंक टैंक आइडिया की इस रिपोर्ट में 173 देशों को कवर किया गया है, जिनमें से 104 लोकतांत्रिक देश हैं। इनमें से 52 देशों में इस व्यवस्था में पतन देखा गया है। 27 देश तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं, जबकि लोकतंत्र की ओर बढ़ने वाले देशों की संख्या इससे आधी यानी महज 13 है। जिन देशों में तानाशाही है उनमें से आधे देशों ने वर्ष 2022 में अपनी जनता के प्रति पहले से ज्यादा दमनकारी रवैया प्रदर्शित किया है।