डायबिटिक मरीजों और बच्चों को हीट वेव में खतरा ज्यादा, बचाव के लिए रखें हाइड्रेशन लेवल का ध्यान

डायबिटिक मरीजों और बच्चों को हीट वेव में खतरा ज्यादा, बचाव के लिए रखें हाइड्रेशन लेवल का ध्यान

सूरज के तेवर सख्त होते जा रहे हैं और हीट वेव के कारण हॉस्पिटल में मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन इस मौसम में सबसे ज्यादा ध्यान डायबिटिक पेशेंट्स को रखने की सलाह दी जा रही है क्योंकि तेज गर्मी के चलते उन्हें कई तरह के कॉम्प्लिकेशंस आने लगते हैं। यदि यूरीन में जलन, ज्यादा पसीना निकलना या बुखार जैसे लक्षण डायबिटीज के मरीज अपने में देखते हैं तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर्स के मुताबिक डायबिटिक पेशेंट्स की शुगर यदि अनियंत्रित है तो वे जल्दी खतरे में आ सकते हैं क्योंकि उन्हें जल्दी डिहाइड्रेशन होता है। गर्मी में संतुलित दिनचर्या के अलावा डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब्ड दवाइयां नियमित रूप से लेना चाहिए।

समर कैंप में देखें वेंटिलेशन व ठंडक रखने की हो व्यवस्था

पैरेंट्स यदि बच्चों को समर कैंप भेज रहे हैं तो कोशिश करें कि धूप चढ़ने से पहले या फिर पांच बजे के बाद भेजें। यदि दोपहर में निकलना पड़े तो बच्चों को कैप, सनग्लास, हल्के कपड़े पहनाएं और सूती कपड़े से कवर करके निकले। वहीं जिस समर कैंप में बच्चों को भेज रहे हैं, वहां प्रॉपर वेंटिलेशन व कूलर की व्यवस्था है या नहीं यह भी देख लें। बच्चों में पोटेशियम-सोडियम का बैलेंस बनाए रखें। इस समय बच्चों में डायरिया की समस्या भी आ रही है तो बाहर का नींबू पानी, पानी-पूरी जैसे आइटम्स खाने-पीने से बचें। खेलकूद के के बाद बच्चों को ओआरएस भी दे सकते हैं।

इंसुलिन अचानक घटने-बढ़ने लगता है

गर्मी में डिहाइड्रेशन होने से ब्लड शुगर लेवल अचानक बढ़ सकता है। इससे बार-बार यूरिन के लिए जाना पड़ सकता है, जिसका अर्थ है कि बॉडी और ज्यादा डिहाइड्रेटेड हो सकती है। यदि यूरीन में जलन, ज्यादा पसीना निकलना या बुखार जैसे लक्षण डायबिटीज के मरीज अपने में देखते हैं तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। डायबिटिक लोगों की ब्लड वेसल्स काफी कमजोर हो जाती हैं। हाई टेंपरेचर में शरीर में इंसुलिन के काम करने का तरीका बदल जाता है। कई बार यह अचानक से बढ़ या घट सकता है, जिसका असर ब्लड शुगर लेवल पर पड़ता है। -डॉ. सचिन चित्तावर, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट

तीन चरण में हीट वेव से प्रभावित होते हैं बच्चे

बच्चों की स्किन पतली होती है इसलिए उनके शरीर से पानी जल्दी इवेपरेट(वाष्प)बनकर उड़ जाता है। यही वजह है कि बच्चे जल्दी डिहाइड्रेटेड होते हैं या उन्हें लू लग जाती है। गर्मी में इसके तीन चरण होते हैं, पहला माइल्ड, जिसमें बच्चों के हाथ-पैर या बदन दर्द होता है, इसके हीट क्रैंप होते हैं। दूसरा, मीडियम लेवल यानी हीट एग्जॉशन होता है, जिसमें थकान, पसीना निकलना और सुस्ती आती है। तीसरा हीट स्ट्रोक होता है, इसमें बुखार, बेहोशी और खून की नलियां सिकुड़ जाती है। इस मौसम में पोटेशियम लॉस होता है जिसके लिए बच्चों को जूस, नींबू पानी, छाछ में चीनी-नमक मिलाकर व नारियल पानी दें। -डॉ. मनोज वैष्णव, पीडियाट्रिशियन