कोरोना ‘काल’ में ब्लड का ‘अकाल’ न पड़ने दें

कोरोना ‘काल’ में ब्लड का ‘अकाल’ न पड़ने दें

भोपाल। देश में इन दिनों जिस तरह की परिस्थितियां चल रही है, उसे देखते हुए रक्तदान करने से डरें नहीं, क्योंकि सुरक्षित रक्तदान कई लोगों की जिंदगी बचा सकता है। कोरोना महामारी के इस ‘काल’ में ब्लड का ‘अकाल’ न पड़ने दें, रक्तदान करें। यह बात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल की मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. मनीषा श्रीवास्तव कही। विश्व रक्तदाता दिवस (वर्ल्ड ब्लड डोनर डे) पर उन्होंने कहा कि इस वक्त कोरोना संकटकाल में जिस तरह से महामारी बढ़ रही है, उसी तरह जिनका जीवन रक्त पर ही निर्भर है, उन्हें रक्तदाता ही बचा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में रक्तदाता खुद को सुरक्षित रखें, ताकि इस चुनौतीपूर्ण समय में रक्त की कमी न हो और लोगों की जिंदगी को बचाने में अहम भूमिका निभा सकें।

28 दिन पहले बुखार आया तो रक्तदान नहीं

कोरोना के दौरान स्पेशल गाइडलाइन जारी की गई है। इसके तहत 28 दिन पहले किसी को बुखार, खांसी या अस्पताल में भर्ती हुआ है तो उनका ब्लड न लेने की बात कही गई है। हालांकि अभी यह सामने नहीं आया है कि खून से भी कोरोना फैलता है।

आज की बड़ी जरूरत प्लाज्मा और प्लेटलेट्स

कोरोना वायरस लोगों के प्लेटलेट्स कम कर रहा है। ऐसे पेशेंट को भी ब्लड की जरूरत पड़ रही है। रेड ब्लड सेल की भी जरूरत पड़ रही है, क्योंकि ये ब्लड सेल आक्सीजन बढ़ाने की क्षमता विकसित करते हैं। 60 साल की उम्र से ज्यादा बुजुर्ग जो वेंटिलेटर पर है, उन्हें इसकी जरूरत पड़ती है। ब्लड डोनेट करने से कोई कमजोर नहीं होता जिनका हीमोग्लोबिन, 12.5 और वजन 50 किलो से ज्यादा हो वो ब्लड डोनेट कर सकते हैं। तीन महीने में ब्लड डोनेट करने वाले का हीमोग्लोबिन कवर हो जाता है। जिन मरीजों को नियमित रक्त की जरूरत पड़ती है, उनके लिए ब्लड बैंक को बैलेंस बनाकर चलना पड़ रहा है।