चिकित्सक मरीज में मां-पिता और भाई-बहन की छवि देख करें इलाज : राज्यपाल

चिकित्सक मरीज में मां-पिता और भाई-बहन की छवि देख करें इलाज : राज्यपाल

इंदौर। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि जीवन कितना जिया यह महत्वपूर्ण नहीं, जीवन कैसे जिया यह महत्वपूर्ण है। सेवा के भाव से चिकित्सक जीवन की सम्पूर्णता को प्राप्त करें। अपने यहां आने वाले मरीजों को देखें तो मन में यह भाव जागृत हो कि वे हमारे परिजन हैं। उनमें अपने मां-पिता, भाई-बहन की छवि दिखे, ऐसी दृष्टि विकसित हो, ऐसा प्रयास करें।

सेवांकुर भारत के तहत देश के विभिन्न हिस्सों से आए सेवाभावी वैद्यकीय विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने यहां रवींद्र नाट्यगृह में आगे कहा कि शिक्षा और सेवा का अनूठा संगम सेवांकुर के इस कार्यक्रम में देखने को मिल रहा है। शिवगंगा संस्था के मार्गदर्शन में तीन सौ वैद्यकीय विद्यार्थियों ने जिस तरह से झाबुआ में एक सप्ताह तक रहकर ग्रामीणों की सेवा सुश्रुषा और चिकित्सा की है, वे निश्चित ही साधुवाद के हकदार हैं। राज्यपाल ने कहा कि बीते दिनों उन्होंने झाबुआ में आयोजित हलमा कार्यक्रम में भाग लिया था। हलमा अपनी भूमि के प्रति अपना योगदान देने की एक अद्भुत और पावन परंपरा है।

उन्होंने वनवासी अंचल में सिकलसेल एनीमिया की भयावहता से सभी को अवगत कराया। राज्यपाल ने गुजरात में 4 साल की राधा और बारह साल की सुधा नाम की दो बहनों की सिकल सेल एनीमिया से अकाल मौत का दारुण दृश्य प्रस्तुत किया और कहा कि सिकलसेल के प्रति व्यापक जागरूकता लाया जाना जरूरी है। पटेल ने कहा कि उन्हें इस बात का संतोष है कि मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने इस दिशा में कार्य प्रारंभ किया है। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय पाँच-पाँच गांवों को गोद लेकर सिकलसेल एनीमिया के प्रति जागरूकता लाने और ऐसे मरीजों को चिन्हित करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।

अपने अनुभव साझा किए

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस के मध्य क्षेत्र संचालक अशोक सोहनी ने कहा कि वनवासी अंचल में रहने वाले गिरिजन संपूर्ण समाज के अभिन्न अंग हैं। पश्चिम क्षेत्र के संचालक डॉ. जयंतीभाई भाड़ेसिया ने अपने उद्बोधन में अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समाज के अनेक वर्ग अभी भी ऐसे हैं जिन्हें समृद्ध वर्ग की सेवा की जरूरत है। कार्यक्रम में एक सप्ताह देश के नाम आयोजन के प्रतिभागी रहे देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से आए विद्यार्थियों ने अपने अनुभवों को साझा किया। इंदौर की हर्षिता निगंवाल और अन्य ने झाबुआ शिविर और गांवों में भ्रमण के बारे में अपने भावों से सभी को अवगत कराया।