दुबई की कंपनी अवार्डा आने तैयार नहीं और ननि लगातार दे रहा मौके

दुबई की कंपनी अवार्डा आने तैयार नहीं और ननि लगातार दे रहा मौके

जबलपुर । करीब 4 साल पहले शुरू हुआ एस्सेल कंपनी का कचरे से बिजली बनाने का प्लांट दुबई की कंपनी अवार्डा ने खरीद लिया है। इसके साथ ही इसी कंपनी को शहर के डोर टू डोर कचरा प्रबंधन की व्यवस्था भी संभालनी है। नगर निगम ने इस कंपनी को दोनों काम टेकओवर करने अप्रैल में 3 माह का समय दिया था। कोरोना संकट के चलते कंपनी अभी जबलपुर आने तैयार नहीं है। अब जबकि एक्सटेंशन के 3 माह का वक्त निकल चुका है तो नगर निगम ने दोबारा इस कंपनी को 3 माह का और एक्सटेंशन दे दिया है। विगत 3 जून को नगर निगम ने अवार्डा कंपनी को इसके लिए एनओसी जारी कर दी है। कंपनी को वेस्ट टू एनर्जी सहित डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम टेक ओवर करना है। अभी तक कंपनी की तरफ से कोई भी जबलपुर नहीं आया है। हालाकि कंपनी प्रबंधन ने कोरोना संकट के चलते नगर निगम को पत्र लिखकर एक्सटेंशन की मांग की थी। व्यवस्था दूसरे हाथों में सौंपे जाने के बाद एस्सेल कंपनी के कर्मचारियों पर काम के प्रति लापरवाही भी झलकने लगी है। शहर के अधिकांश इलाकों में कचरा कलेक्ट करने वाली गाड़ियां नहीं पहुंच रही हैं। वहीं दर्जनों कचरा गाड़ी खुद कचरा बन चुकी हैं। इनकी मरम्मत तक नहीं करवाई जा रही है।

2016 में स्थापित हुआ था प्लांट

एस्सेल कंपनी ने वर्ष 2016 में कठौंदा में ननि द्वारा प्रदत्त जमीन पर 178 करोड़ से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित किया था। इस प्लांट की क्षमता 11.5 मेगावाट बिजली बनाने की है,हालाकि यह प्लांट कभी पूरी क्षमता की बिजली नहीं बना पाया। इसके बाद एस्सेल कंपनी ने इस प्लांट को गत वर्ष अवार्डा कंपनी को बेच दिया। इसके लिए ननि से एनओसी भी ली गई थी। इसके बाद अप्रैल में एक एनओसी अवार्डा कंपनी को भी जारी की कि वे प्लांट संचालित कर सकते हैं। चूंकि अप्रैल में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला हुआ था जिसके कारण कंपनी के प्रतिनिधि यहां नहीं आ पाए।

शुल्क देने में नागरिकों को आपत्ति

डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करवाने के बदले नगर निगम ने नागरिकों से प्रतिवर्ष 360 रुपए का शुल्क नियत कर दिया है। नागरिकों को चूंकि यह सुविधा सुचारू रूप से नहीं मिलती लिहाजा वे यह शुल्क देने में आनाकानी करते हैं। अब तक करीब 5 करोड़ रुपए से ऊपर की राशि बकाया है। जलशुल्क में आम नागरिकों को मिलने वाली 25 फीसदी की छूट देने में भी अब ननि ने शर्त रख दी है कि पहले डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुल्क जमा करो तब यह छूट मिलेगी।

1421 रु. प्रति टन वसूलती है ननि से कंपनी चार्ज

गौरतलब है कि एस्सेल कंपनी नगर निगम से कचरा कलेक्शन के बदले प्रति टन 1421 रुपए प्रति टन के हिसाब से शुल्क वसूलती है। करीब साढ़े 4 सौ टन कचरा प्रतिदिन शहर से निकलता है। वहीं कंपनी नगर निगम को 21 रुपए प्रति टन कचरे के हिसाब से भुगतान भी करती है। इस कचरे को वर्गीकृत कर गीला-सूखा कचरा अलग कर इससे बिजली बनाई जाती है और कंपनी इसे पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी को बेचती है।