चॉकलेट का एक बार एक्सट्रा खाने से बढ़ता है स्ट्रोक का जोखिम

चॉकलेट का एक बार एक्सट्रा खाने से बढ़ता है स्ट्रोक का जोखिम

लंदन। बहुत ज्यादा शक्कर खाने से स्ट्रोक का जोखिम 10 प्रतिशत बढ़ जाता है। रिसर्चर्स ने कृत्रिम मिठास से होने वाले जोखिमों के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि विशेष रूप से फिजी ड्रिंक्स एवं केक जैसे खाद्य पदार्थों में इस तरह की शक्कर की मात्रा ज्यादा होती है। कृत्रिम मिठास का मतलब ऐसी शक्कर से होता है, जो किसी उत्पाद में प्राकृतिक रूप से नहीं पाई जाती बल्कि, उस उत्पाद को ऊपर से शक्कर मिलाकर मीठा बनाया जाता है।

कृत्रिम मिठास से मिलती है दैनिक ऊर्जा की 12% मात्रा

ब्रिटेन में औसत व्यक्ति अपनी दैनिक ऊर्जा की 12 फीसदी मात्रा कृत्रिम मिठास से प्राप्त करता है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति आहार में इस मात्रा से 5 प्रतिशत भी ज्यादा (चॉकलेट के एक बार में मिठास के लिए प्रयुक्त शुगर) बढ़ाता है तो स्ट्रोक से पीड़ित होने की संभावना 10 प्रतिशत बढ़ जाती है।

प्राकृतिक मिठास स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त

अध्ययन के सह लेखक आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम की का कहना है कि अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि न सिर्फ फिजी ड्रिंक्स बल्कि किसी भी प्रकार की कृत्रिम मिठास के लिए प्रयुक्त की जाने वाली शुगर से ह्दय संबंधी बीमारियों जैसे स्ट्रोक्स आदि का जोखिम बढ़ सकता है।

1 दिन में 30 ग्राम से अधिक शुगर लेना हानिकारक

ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा की अनुशंसा के अनुसार एक वयस्क व्यक्ति को एक दिन में 30 ग्राम से अधिक शुगर का सेवन नहीं करना चाहिए। शक्कर की यह मात्रा 7 शुगर क्यूब के बराबर होती है। अध्ययन से यह पता चला है कि ऐसे लोग जो फ्री शुगर से मिलने वाली अपनी दैनिक ऊर्जा का 5 प्रतिशत भाग फलों एवं सब्जियों से मिलने वाली शक्कर से रिप्लेस करते हैं, उनमें स्ट्रोक का जोखिम 9 प्रतिशत तक कम हो सकता है।

1.10 लाख लोगों पर 9 वर्ष तक किया गया अध्ययन

ब्रिटेन में रहने वाले 1.10 लाख लोगों के स्वास्थ्य पर औसतन नौ वर्षों तक निगरानी रखने से ज्ञात हुआ है कि मीठे पदार्थों के सेवन से ह्दय रोगों का जोखिम बढ़ता है। ऐसे लोग जो अधिक मात्रा में कृत्रिम मिठास का सेवन करते हैं, उन्हें स्ट्रोक या ह्दय से जुड़ी बीमारियों जैसे ब्लड क्लॉट के कारण हार्ट अटैक की समस्या बढ़ जाती है।