कैनवास पर उकेरा सूंड से पेड़ उखाड़ता हाथी और मोर का जोड़ा
कैनवास पर गोंड जनजातीय मिथक, जंगल के जीव, पर्यावरण एवं देवी- देवताओं की झलक देखने को मिली। मौका था जनजातीय संग्रहालय में 36वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी का। इस एग्जीबिशन में गोंड समुदाय के चित्रकार सहदेव कुमार पुशाम के 30 चित्रों को डिस्प्ले किया गया है। सहदेव बताते है कि एग्जीबिशन में लगी पेंटिंग में पर्यावरण, केकड़ा, कछुआ, हाथी, मोर एवं अन्य कई विषय पर चित्र तैयार किए है।
10 साल से कर रहा हूं चित्रकारी : सहदेव कुमार पुशाम बताते हैं कि बचपन से ही पेेंटिंग में रुचि थी। मैं अपने चित्रों में ज्यादातर वन्य जीव और गोंड समुदाय के देवी-देवताओं को उकेरना पसंद करता हूं। उन्होंने बताया कि मैं अपनी पेंटिंग में चटख रंगों का ज्यादा इस्तेमाल करता हूं, जिससे पेंटिंग देखने वालों को अपनी और आकर्षित कर सकें। साथ ही बताया कि 10 वर्षों से चित्रकारी कर रहा हूं।
छोटी-छोटी लाइन को जोड़कर तैयार किया चित्र
सहदेव ने बताया कि एक कैनवास पर हाथी को उकेरा है, जो कि पेड़ के अपनी सूंड से उखाड़ते हुए दिखाया है। इस चित्र में पेड़ को लाइनिंग के माध्यम से दिखाया है। वही एक अन्य चित्र में पक्षी को पेड़ की तरह दिखाया है, जिस पर अन्य पक्षी बैठे हुए है, इस चित्र को बनाने में तीन दिन का समय लगा। जिसमें छोटी-छोटी लाइन को जोड़कर तैयार किया है।
कैनवास पर कछुआ और केकड़ा का चित्र
सहदेव कहते हैं कि एक चित्र में कछुआ और केकड़ा को उकेरा है। रंग-बिरंगे कलर से तैयार इस पेंटिंग को बनाने में तीन से चार दिन लगे। इसके अलावा दो मोर के जोड़े को कैनवास पर उकेरा है। साथ ही मगरमच्छ का चित्र बनाया है, जिसके अलग दिखाने के लिए बीच में पिंक कलर और बाकी हिस्से में लाइनिंग का इस्तेमाल किया गया है।