श्रेष्ठ संस्कारों की स्थापना दादा आदिनाथ के संदेशों से ही संभव : मुनि रजतचंद्रजी
इंदौर। जैन समाज के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के जन्म कल्याणक महोत्सव में बुधवार सुबह पीपली बाजार स्थित सफेद मंदिर से विशाल पालकी यात्रा निकाली गई, जो विभिन्न मार्गों से होते हुए पुन: मंदिर पहुंची। यहां नवकार परिवार की ओर से अष्टप्रकारी पूजा, नवकारसी एवं साधु-साध्वी भगवंतों के मंगल आशीर्वचन सहित विभिन्न अनुष्ठान हुए।
सफेद मंदिर से निकली यात्रा में घोड़े, बग्घी, बैंड गाड़ी, भजन एवं गरबा मंडलियां, कलश एवं ध्वजधारी महिलाएं, आदिवासी नृत्य टोलियां, ढोल-ताशे आदि के साथ ही नवकार परिवार के सदस्य पूजा के वस्त्रों में भगवान आदिनाथ की सुसज्जित पालकी कांधों पर लेकर चले। अनेक युवा इंद्र- इंद्राणी के श्रृंगार में पालकी के आगे नाचते-गाते हुए शामिल हुए। वहीं विभिन्न महिला मंडल रंग बिरंगी वेशभूषा में जयघोष करते हुए एवं ध्वज लहराते हुए शामिल हुए।
इस अवसर पर मुनि प्रवर रजतचंद्र विजय म.सा. ने अपने आशीर्वचन में कहा कि दादा आदिनाथ की प्रेरणा से परिवार एवं समाज में श्रेष्ठ संस्कारों की स्थापना की जाना चाहिए। एक सभ्य, शालीन और हिंसा मुक्त समाज की संरचना दादा आदिनाथ के संदेशों पर अमल से ही संभव है।यात्रा सफेद मंदिर से प्रारंभ होकर बड़ा सराफा, शकर बाजार, सीतलामाता बाजार, नरसिंह बाजार, जवाहर मार्ग होते हुए पुन: पीपली बाजार सफेद मंदिर पहुंची, जहां नवकार परिवार की ओर से अष्टप्रकारी पूजा की गई। पालकी यात्रा में महापौर पुष्यमित्र भार्गव, समाजसेवी हसंराज जैन शामिल हुए।