भूसा सस्ता होने के बाद भी शहर में 60 रु. प्रति लीटर तक बिक रहा दूध

भूसा सस्ता होने के बाद भी शहर में 60 रु. प्रति लीटर तक बिक रहा दूध

जबलपुर । प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी दूध के दाम कम नहीं हो रहे हैं। जबकि इसके पूर्व भी कई बार जिला प्रशासन ने दूध डेयरी संचालकों और व्यापारियों के साथ बैठक कर हिदायत भी दी जा चुकी थी कि हर हाल में दूध के रेट न बढ़ाएं जाएं। लेकिन जिले से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में मनमाफिक तरीके से व्यापारी और डेयरी संचालक दूध का विक्रय कर आम जनता से लूट-खसोट चल रही हैं। गौरतलब है कि भूसे के दाम ने पशु पालकों को तो राहत दी है लेकिन इधर दूध के दामों पर गिरावट न आने से लोग परेशान हैं। गत वर्ष तक 350 से 400 रुपए मन बिकने वाला भूसा इस साल 120 से 125 रुपए बिक रहा है। परंतु दूध के दामों में किसी भी तरह की गिरावट नहीं आई है और 50-52 रुपए लीटर बिकने वाला दूध 56 से 60 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। जिले में हर दिन करीब तीन से चार हजार क्विंटल भूसे की खपत होती है। इस वर्ष आस-पास के जिलों और लोकल स्तर पर प्रचुर आवक होने से पशुपालकों ने चार माह का स्टॉक किया है। हालांकि शहर में हरे चारे की समस्या बरकरार है।

गत वर्ष हुई थी समस्या

पिछले साल फसल खराब होने से भूसे का उत्पादन प्रभावित हुआ था। इससे इसके दाम 350 से 400 रुपए प्रति मन तक पहुंच गए थे। नतीजतन पशुपालकों ने दूध के दाम बढ़ा दिए। इस बार भूसे की प्रचुरता से पशुपालकों को राहत मिली है। लॉकडाउन के कारण जंगल में उगने वाला हरा चारा बाजार में नहीं पहुंचा। गर्मी के कारण भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हुआ। सब्जी मंडी, श्रीनाथ की तलैया, फूल मंडी आदि में ग्रामीण हरा चारा बेचते हैं।

शहर और गांव के दाम अलग

दूध के दाम पर लूट मची हुई है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शहर और ग्रामीण क्षेत्र में दूध के दाम अलग-अलग हैं। बेलखेड़ा, चरगवां और शहपुरा की दूरी जिला मुख्यालय से 30 से 45 किलोमीटर है। इतनी दूरी में दूध की कीमतों को लेकर फासला हैरान करने वाला है। कहा जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 40 से 45 रुपए लीटर दूध मिल जाता है।