पुलिस कमिश्नर प्रणाली में भी नहीं सुधरा ढर्रा, शिकायतों का अंबार

पुलिस कमिश्नर प्रणाली में भी नहीं सुधरा ढर्रा, शिकायतों का अंबार

भोपाल। सरकार ने पुलिसिंग व्यवस्था को दुरुस्त करने और आम जनता को राहत देने के लिए भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की है। इसे एक साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन अब तक यह जनता में पुलिस के प्रति विश्वास जगाने में सफल नहीं हो सकी है। प्रदेश में एक जनवरी 2023 से लेकर अब तक पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर प्रदेशभर में 81,110 लोगों ने शिकायतें दर्ज गृह विभाग के पोर्टल पर दर्ज कराई हैं। इसमें से 40 हजार शिकायतें पुलिस द्वारा एफआईआर नहीं लिखने, देरी से लिखने तथा सही धाराएं नहीं लगाने से संबंधित हैं। इसमें से करीब 25 फीसदी यानी करीब 10 हजार शिकायतें अकेले भोपाल और इंदौर की हैं। हालांकि दोनों शहरों के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सभी मामलों में एकदम से एफआईआर दर्ज करना उचित नहीं होता है। जांच के बिना एफआईआर दर्ज करने से कई तरह की कानूनी अड़चने सामने आती हैं।

26,700 से अधिक शिकायतें विवेचना में देरी की

लोगों की तरफ से यह भी शिकायतें आ रही हैं कि पुलिस विवेचना में देरी करती है। इस वजह से कोर्ट में समय पर प्रकरण नहीं पहुंच पाते और समय पर न्याय नहीं मिल पाता है। पुलिस कई बार पक्षकार से मिलकर या दबाव में सही विवेचना भी नहीं करती है। गृह विभाग के पोर्टल के अनुसार, बीते साढ़े तीन माह में करीब 26,700 से अधिक शिकायतें विवेचना में देरी को लेकर की गई हैं। इनमें से भोपाल और इंदौर जिले के चार हजार असंतुष्ट फरियादी शामिल हैं।

जबरन राजीनामा कराने में दोनों शहरों की पुलिस आगे

किसी एक पक्षकार से मिलकर दोनों शहर की पुलिस मामले में समझौता, राजीनामा के लिए दबाव डालने में भी सबसे आगे हैं। इसके अलावा आरोपियों को गिरफ्तार करने में भी आगे-पीछे करती है। इस तरह की शिकायतें पोर्टल पर इस वर्ष अब तक पूरे प्रदेश में 13 हजार लोगों ने की है। इसमें भोपाल और इंदौर के 2,300 से अधिक लोग शामिल हैं।