एक एकड़ पर एक ही बोरी खाद नसीब हो रही किसानों को

जबलपुर। अगस्त माह सूखा गुजरने के बाद चिंतित किसानों के लिए सितंबर की बारिश ने एक बार फिर धान की पैदावार की उम्मीद बढ़ा दी है। यही वजह है कि शेष रह गए रकबे में किसानों ने धान के रोपा लगा दिए हैं। अब धान के पौधों को बढ़ाने के लिए भरपूर यूरिया की जरूरत है, इसके बावजूद किसानों को 1 एकड़ पर एक बोरी खाद मिल पा रही है। विपणन से पर्याप्त खाद मिल नहीं रही है और किसान महंगे दामों पर प्राइवेट से खाद लेने मजबूर है। किसान फसल की अधिक से अधिक पैदावार के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद का उपयोग कर रहा है, इधर सरकार अपने हिसाब से किसान को खाद दे रही है।
इस संबंध में किसान प्रतिनिधियों का कहना है कि सहकारी समितियों से पर्याप्त खाद न मिलने के कारण ही किसान प्राइवेट दुकानों से खाद खरीदने लिए मजबूर होता है। किसान की इसी मजबूरी का लाभ उठाते हुए ‘खाद माफिया’ यूरिया की कालाबाजारी करते हुए मनमुताबिक कीमत वसूल कर रहा है। किसान को सोसायटियों से समय पर खाद नहीं मिलती है, जिसके कारण शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक इसकी कालाबाजारी करने वाले सक्रिय हो जाते हैं।
कलेक्टर को अवगत कराया
किसानों को मांग अनुरूप पर्याप्त मात्रा में यूरिया सहित पोटाश उपलब्ध कराने के प्रचार-प्रसार के बीच मप्र राज्य विपणन संघ किसानों को कृषि भूमि के आधार पर उर्वरक प्रदाय कर रहा है। निर्धारित नियम में किसान को पूरे सीजन के लिए अधिकतम एक हेक्टेयर (ढाई एकड़) में कुल 3 से 4 बोरी यूरिया देना है, जबकि किसान को धान के लिए (रोपाई से अंतिम छिड़काव) तक एक हेक्टेयर में करीब 8 बोरी यूरिया की जरूरत पड़ती है। हाल ही में किसानों की बैठक में कलेक्टर को यूरिया की कमी से अवगत कराया है।
बाजार में पर्याप्त स्टाक कैसे
वितरण केंद्र और राज्य सरकार किसानों तक पर्याप्त खाद पहुंचाने संकल्पित है। डीएपी, ग्रोमोर और यूरिया के उत्पादन और आयात में 75 से 80 प्रतिशत वितरण सरकार के पास है, जिसे विपणन सहकारी सोसायटी एवं डबल लॉक के माध्यम से किसान तक पहुंचा रहा है। 80 प्रतिशत खाद लेने के बाद भी किसानोें को पर्याप्त खाद नहीं मिलती। इधर प्राइवेट सेक्टर को कुल उत्पादन का 20% खाद् मिलता है, इसके बावजूद उनके पास स्टाक की कभी कोई कमी नहीं होती है।