व्रतधारी महिलाओं ने उपवास रख किया महालक्ष्मी का पूजन-अर्चन

व्रतधारी महिलाओं ने उपवास रख  किया महालक्ष्मी का पूजन-अर्चन

जबलपुर ।  महालक्ष्मी व्रत गुरुवार को पूरी श्रद्धा,भक्ति और आस्था के साथ मनाया गया। महिलाएं व्रत रखकर विधि-विधान सं पूजन-अर्चन किया। सुबह से बाजारों एवं घरों में व्रत की सामग्री तथा तैयारियों को लेकर चहल-पहल भी रही। व्रतधारी महिलाओं ने माता लक्ष्मी एवं ऐरावत हाथी के प्रतीक मिट्टी के हाथी का पूजन किया। माता लक्ष्मी को विभिन्न प्रकार के पकवान अर्पित किए गए एवं रात्रि जागरण कर माता महालक्ष्मी से सुख समृद्धि एवं धन-धान्य की परिपूर्णिमा का आशीर्वाद मांगा गया। ज्योतिषाचार्य पं. वासुदेव शास्त्री ने बताया कि पितृपक्ष में केवल पितरों के निमित्त ही तर्पण, पिंडदान एवं श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस पूरे पितृपक्ष में केवल एक महालक्ष्मी व्रत ही है। जिसे पितृपक्ष चलने के बाद भी घर-घर में धूमधाम से मनाने की परंपरा है। महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी से धारण किया जाता है और आश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को महालक्ष्मी व्रत पूर्ण होने पर माता महालक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत के करने से घर में हमेशा माता महालक्ष्मी का वास हो जाता है और कभी दरिद्रता नहीं आती है।

महिलाओं ने लिया संकल्प

महिलाओं ने सुबह व्रत प्रारंभ करने के पूर्व पवित्र दूर्वा मिलाकर जल से स्नान कर व्रत का संकल्प लिया। घरों में चौक पूरकर वंदनवार लगाए गए हैं। शाम को पवित्र आसन पर माता महालक्ष्मी की मूर्ति एवं मिट्टी का हाथी स्थापित करके रोरी, चंदन, अक्षत, फूल, फल, धूप, दीप से विधिवत पूजन किया। इस व्रत को पूर्ण करने के लिए 16 गांठों से बनाया गया रक्षा सूत्र पूजन करके महिलाओं को अपनी कलाई में धारण करेंगी। घरों में बनाए गए लजीज व्यंजन एवं पकी-पकवान का महालक्ष्मी एवं हाथी को भोग लगाया गया।

भटौली में पूजा-अर्चना

शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी महालक्षमी व्रत का पूजन किया गया। इसी क्रम में भटौली में महिलाओं द्वारा महालक्ष्मी व्रत का पूजन करभगवान विष्णु, माता लक्ष्मी जी से सुख समृद्धि और सभी के लिए मंगलकामनाएं सहित इस कोरोना नामक महामारी को जल्द से जल्द संसार से दूर करने के लिए प्रार्थना की गई। जिसमें रानू बर्मन,संगीता बर्मन,नेहा बर्मन एवं अन्य माताएं उपस्थित रहे। पंडित अंकित तिवारी ने व्रत कथा सुनाई।