फादर्स डे आज: संतान को हर तकलीफ सहकर आगे बढ़ाते हैं इसलिए पितृ देवो भव:

फादर्स डे आज: संतान को हर तकलीफ सहकर आगे बढ़ाते हैं इसलिए पितृ देवो भव:

जबलपुर ।  फादर्स डे एक उत्सव है जो पिता और पूर्वजों की भूमिका का सम्मान करता है। संतान को हर तकलीफ सहकर आगे बढ़ाने का काम हर पिता करता है। इस बारे में पीपुल्स समाचार ने आम से लेकर खास हर वर्ग के लोगों से उनके पिता से जुड़े संस्मरणों पर बातचीत की तो सभी ने अपने अनुभव शेयर किए। सभी का कहना रहा कि पिता को पूजने का कोई दिन निश्चित करना उचित नहीं है हर दिन पिता की वंदना का होता है। इसीलिए हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि पितृ देवो भव:। पिता के कृतित्व का ऋण उतारना संतान के लिए कभी संभव नहीं होता। दुनिया भर में, फादर्स डे अलग-अलग तारीखों में मनाया जाता है, हालांकि इस दिन को एक समान तरीके से मनाया जाता है, जिसमें आमतौर पर पिता और पारिवारिक गतिविधियों को उपहार देना शामिल होता है। फादर्स डे की सबसे लोकप्रिय तारीख जून में तीसरा रविवार है। यह तिथि पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में देखी गई थी और तब से कई देशों द्वारा अपनाई गई है।

निर्णय लेने दिए, मित्रवत रखते हैं व्यवहार: भरत यादव (कलेक्टर)

मैं किसान परिवार से हूं। मेरे पिता एक सामान्य कृषक हैं। बचपन से उन्होंने मेरे साथ कभी सख्त व्यवहार नहीं किया। हमेशा मित्रवत व्यवहार किया। जब निर्ण लेने लायक हुआ तो उन्होंने हमेशा मुझे सहयोग किया कभी भी मेरे लिए निर्णयों पर असहमति नहीं दिखाई। मेरा मानना है कि आज जो कुछ भी हूं उन्हीं की बदौलत हूं। चूंकि मैं एक किसान का बेटा हूं इसलिए पाश्चात्य संस्कृति के अनुसार किसी एक दिन फादर्स डे में विश्वास नहीं रखता और साल के पूरे 365 दिन और जीवन का हर दिन पिता के लिए समर्पित रहे ऐसा मानता हूं।

पिता ऐसी हस्ती, जिसके साये में राज करती हैं बेटियां: सौम्या-पल्लवी जैन

राइट टाउन निवासी समृद्ध व्यवसाई संजय जैन की 2 बेटियों का कहना है कि पिता एक ऐसी हस्ती है जिसके साये में बेटियां राज करती हैं। बेटियों को उनकी इच्छानुसार शिक्षा दिलाकर उनके द्वारा चुने गए क्षेत्र में संजय ने उत्साह बढ़ाया। नतीजतन आज सौम्या इवेंट एंकर का काम करती हैं,और पल्लवी डिजाइनर हैं। जो अपने पिता के एम्ब्रायडरी के व्यवसाय में सहयोग करती हैं। सौम्या और पल्लवी दोनों का कहना है कि हर किसी के सिर पर पिता का साया होना बहुत जरूरी है। पिता एक ऐसी घनी वट वृक्ष की छांव है जिसके तले जीवन की हर मुश्किल हर धूप से राहत मिलती है।

वुशू सीखता था,  पिता ने आर्थिक संकट के बावजूद मुहैया करवाई अच्छी डाइट: दीपक

लोगों को योग की शिक्षा देने वाले दीपक पटैल शहर के ख्यात योगाचार्य हैं। उन्होंने बताया कि मेरे पिता राजेश पटैल बेहद कमजोर आर्थिक स्थिति के बीच परिवार का भरण पोषण करते आए। छात्र जीवन में मैं जब मैं स्पोर्ट्स में वुशू सीखता था तो इसके लिए अच्छी डाइट की जरूरत होती थी,जो वे कैसे भी मुहैया करवाते थे। वे मुझे पढ़ाने में दिन-रात मेहनत करते थे। उन्होंने मेरी पढ़ाई पूरी करवाई और अच्छे संस्कार दिए।

सब्जी बेचकर 4 भाई-बहनों को पढ़ा रहे हैं, कभी कोई कमी नहीं आने दी: विकास

एम कॉम फाइनल इयर की पढ़ाई कर रहे विकास जाटव ने बताया कि मेरे पिता मुकेश जाटव बेहद गरीब परिवार से रहे हैं आज भी हमारा संघर्ष जारी है। उल्लेखनीय बात यही है कि हम चार भाई बहन हैं जिनमें 2 भाई व 2 बहनें हैं। मैं एमकाम फाइनल ईयर में हूं। छोटा भाई बारहवीं में है। बहन बीए कर रही है दूसरी बहन भी स्कूल में है। चार-चार बच्चों की मंहगी पढ़ाई का बोझ वे सब्जी बेचकर उठाते हैं।मुझे सब्जी कीदुकान में नहीं बैठने देते कहते हैं कि पढ़ाई करो।