119 साल में पहली बार अप्रैल-मई में ऐसी बारिश मौसम वैज्ञानिक बोले- यह तो रिसर्च का विषय

भोपाल।अप्रैल-मई की गर्मी पसीने छुड़ाने वाली होती है, लेकिन इस साल बेमौसम बारिश ने पारे की रफ्तार धीमी कर दी है। वैशाख में सावन जैसी झड़ी से मौसम वैज्ञानिक भी हैरान हैं। मौसम विभाग, भोपाल के अधिकारियों के अनुसार, पूरे प्रदेश में मार्च-अप्रैल और फिर मई महीने में औसत से कई गुना ज्यादा बारिश होना मौसम की एक अनूठी घटना है और यह रिसर्च का विषय है। विभाग के पास मौजूद 119 साल के रिकॉर्ड के अनुसार इन महीनों में ऐसी बारिश का आंकड़ा नहीं है।
स्थिति यह है कि प्रदेश में हर दूसरे या तीसरे दिन बारिश हो रही है और ओले गिर रहे हैं। 60 से 80 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से आंधी चल रही है, जबकि मई तीखी गर्मी के लिए जाना जाता है। मौसम विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक, पिछले 119 साल में सिर्फ पांच बार ही अप्रैल महीने में एवरेज से ज्यादा बारिश हुई। वहीं, पिछले 40 साल में इस बार 1 मार्च से 3 मई तक सबसे ज्यादा 63 मिमी पानी गिरा है, जबकि इस मौसम में मप्र में सामान्य बारिश का आंकड़ा 11.3 मिमी है। इस तरह अब तक सामान्य से 458 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है।
दक्षिण पश्चिम विक्षोभ का असर, अधिकतम पारा बढ़ेगा
राजस्थान के दक्षिण- पश्चिम विक्षोभ का असर अब कम हो रहा है। पांच मई से एक नया विक्षोभ राजस्थान के हिस्से में बन रहा है। इनका असर ग्वालियर-चंबल में भी दिखेगा। 5 मई से तापमान बढ़ेगा और इसके बाद बूंदाबांदी हो सकती है। राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम में विक्षोभ के असर से मध्यप्रदेश के एक हिस्से में बूंदाबांदी के आसार हैं। ग्वालियर में भी इस विक्षोभ का असर दिखे बिना नहीं रहेगा।
नमी से स्ट्रॉन्ग बना सिस्टम
सीनियर मौसम वैज्ञानिक वहीद खान ने बताया कि भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर में इस समय बहुत ज्यादा एक्टिविटी है। इस कारण बार-बार वेस्टर्न डिस्टरबेंस आ रहे हैं। अरब सागर से वे नमी भी खींच रहे हैं। इस कारण राजस्थान, मप्र, उत्तर प्रदेश समेत पूरा पश्चिमी उत्तर भारत प्रभावित हो रहा है। साथ में मध्य भारत से दक्षिण भारत से ट्रफ लाइन भी गुजर रही है, जो बंगाल की खाड़ी से भी नमी ला रही है।
आगे क्या : उत्तर भारत में वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव है। एक ट्रफ लाइन साउथ वेस्ट एमपी से नॉर्थ तमिलनाडु तक गुजर रही है। तीसरे सिस्टम का असर चक्रवात के रूप में देखने को मिल रहा है, जो साउथ छत्तीसगढ़ पर बना हुआ है।
चार दशक में पहली बार बिजली की खपत 30 प्रतिशत तक घटी
आमतौर पर अप्रैल-मई की गर्मी में बिजली की सर्वाधिक डिमांड और सप्लाई रहती है, लेकिन इस बार बेमौसम बारिश के चलते पिछले साल इसी अवधि की तुलना में खपत 30 प्रतिशत तक कम हो गई है। पिछले 10 दिन में प्रदेश में बिजली की मांग 8,500 मेगावाट तक सिमट गई है। राज्य सरकार का कहना है कि 15 साल बाद यह स्थिति निर्मित हुई है। मप्र स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर के एक अधिकारी ने बताया कि बुधवार को पीक ऑवर में बिजली की सर्वाधिक डिमांड 8,552 और न्यूनतम 6,400 मेगावाट रही। वर्ष 2022 में 25 अप्रैल से लेकर 4 मई तक सर्वाधिक डिमांड 12 हजार और न्यूनतम 9 हजार मेगावाट तक थी। सएलडीसी के मुख्य अभियंता एस पटेल बताते हैं कि पिछले 10-12 दिनों से बिजली की डिमांड कम है, वरना हमेशा तो बढ़ती है। इधर, एमपी जेनको के एमडी मंजीत सिंह भी कहते हैं कि पिछली बार ऐसा कब हुआ था, इसका हिसाब नहीं रखा जाता।