GRMC: अगस्त से नहीं मिला शासन से बजट, अस्पताल में दवाइयों का टोटा

ग्वालियर। अंचल का सबसे बड़ा एवं पुराना मेडिकल कॉलेज इन दिनों बजट के अभाव में कंगाल हो चुका है। शासन से बजट नहीं मिलने के कारण अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं, यहां तक की इस अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को प्रमुख दवाइयां तक उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं और मरीजों को बाजार से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। जबकि शासन के निर्देश के अनुसार 448 प्रकार की दवाइयां मरीजों को अस्पताल में नि:शुल्क मिलनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है, जिसकी वजह मरीज आर्थिक तौर पर परेशान हो रहे हैं। करीब 148 प्रकार की दवाइयां ही मरीजों को नहीं मिल रही हैं, वहीं दूसरी ओर जरूरी होने के कारण डॉक्टर दवाएं लिखकर दे रहे हैं।
हालांकि यह शासन की वजह से ही हो रहा है, शासन की ओर से करीब तीन महीन से बजट नहीं भेजा गया है, दूसरी ओर अस्पताल की दवाइयों का स्टॉक लगातार समाप्त हो रहा है। वर्तमान दवाइयों की हालत यह है कि इस अस्पताल में सर्दी जुकाम में लिखी जाने वाली माउंट लिट्रा जी एवं एजथ्रिोमाइसिन जैसी उपयोगी दवा तक नहीं मिल पा रही है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि दवाइयां का आर्डर लगा हुआ है, लेकिन बजट के अभाव में कार्पोरेशन भी सप्लाई कम कर रहा है।
पहली बार एफडी भी तोड़ी गई
जीआरएमसी प्रबंधन की माली हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। प्रबंधन की ओर कॉलेज की जो एफडी कई सालों से चली आ रही थी वह व्यवस्थाओं के लिए पहली बार तोड़ी गई है। यह एफडी थोड़ी बहुत नहीं बल्कि करीब 65 करोड़ रुपए की बताई गई है। एफडी तोड़ने के कारण जीआरएमसी के डॉक्टरों में भी नाराजगी है।
ओपीडी के साथ वार्डों में हालत खस्ता
महत्वपूर्ण दवाओं के अभाव में केवल ओपीडी ही नहीं बल्कि अस्पताल के वार्डों की हालत खस्ता हो चुकी है यहां तक की पीडियाट्रिक्स वार्ड में गंभीर हालात में भर्ती बच्चों को बड़ी मुश्किल से कॉटन एवं डाइपर तक मिल पा रहा है। विभाग द्वारा जितनी डिमांड प्रबंधन को भेजी जा रही है, उसका पांच से सात फीसदी ही उपलब्ध कराया जा रहा है जो कि हर रोज खत्म हो रहा है। यह व्यवस्था भी बजट नहीं मिलने के कारण हो रही है। हालांकि सेंट्रल मेडिसिन स्टोर कुछ व्यवस्था संभालने के लिए एलपी से दवाइयां मंगाई जा रही हैं, लेकिन जितनी जरूरत है उतनी खरीदी नहीं हो पा रही है, क्योंकि इसकी भी लिमिट तय है।