आॅनलाइन पढ़ाई के लिए ननि 2 साल में भी दुरुस्त नहीं कर पाया गांधी भवन

आॅनलाइन पढ़ाई के लिए ननि 2 साल में भी दुरुस्त नहीं कर पाया गांधी भवन

जबलपुर । लॉक डाउन के चलते स्कूल-कॉलेज बंद हैं,बच्चों को आॅन लाइन एजूकेशन की सलाह दी जा रही है। जिन बच्चों के पास पालकों ने मोबाइल दिए हैं वे तो इसकी छोटी स्क्रीन पर आंखें गड़ाए रहते हैं मगर जिनके पास मोबाइल नहीं हैं,ऐसे बच्चों के लिए गांधी भवन जिसे टाउन हाल भी कहा जाता है में चल रहा आॅन लाइन कंप्यूटर सिस्टम बेहद मददगार साबित हो सकता था,नगर निगम इस काम को स्मार्ट सिटी के माध्यम से करवा रहा था जो अब तक इस काम को पूरा नहीं कर पाई है। 5 करोड़ रुपए की लागत से इस भवन का कायाकल्प तो होना ही था साथ ही यहां पर स्थित 40 हजार दुर्लभ साहित्य को भी आॅन लाइन किए जाने की तैयारी की जा रही है। यहां लगाए जाने वाले कंप्यूटर सिस्टम के जरिए शहर के बच्चे यहां आकर अपनी पढ़ाई कर सकते थे। कोरोना संकट के चलते ठेकेदार यहां के काम को 3 माह से लटका कर रखे हुए है।

डिजिटल लाइबे्ररी का प्रोजेक्ट

गांधी भवन पुस्तकालय 100 साल से अधिक प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है जिसे पुराने स्वरूप में जीवित करने के लिए स्मार्ट सिटी ने 5 करोड़ रुपए से प्रोजेक्ट बनाया था। शहर के ऐसे 7 स्थलों में काम किया जा रहा है जिसमें देश की प्राचीनतम भवन निर्माण प्रक्रिया से काम हो रहा है। यह काम जयपुर की एजेंसी गुड़,गोंद ,चूना जैसी चीजें इस्तेमाल कर मसाला तैयार करवाती है। वर्तमान में इस विधि से कमानिया गेट व घंटाघर में काम करवाया गया है। इसी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम डिजिटल लाइबे्ररी भी तैयार करवा रहा है जिसमें आॅन लाइन पढ़ाई की सुविधा बच्चों के लिए वर्तमान समय को देखते हुए मुफीद होती।

कोरोना संक्रमण ने रोका काम

गांधी भवन लाइब्रेरी का काम कोरोना संक्रमण महामारी के कारण धीमा हुआ है। यहां पर हाईटेक लाइब्रेरी बनाई जाना है। साल भर से यहां लाइब्रेरी बंद है और पीछे की ओर स्थिल पुराने भवन में दो कक्षों में प्रतीक रूप में ही इसे संचालित किया जा रहा है। वहीं गांधी भवन के मुख्य हाल व भवन में रंगरोगन व निर्माण के काम जारी हैं। 3 माह से यहां पर काम ठप जैसा ही है। लॉक डाउन पीरियड में ही जिला प्रशासन ने आवश्यक कार्यों को पूरा करने के लिए अनुमति दी थी जिसमें गांधी भवन पुस्तकालय का काम भी शामिल रहा मगर यहां पर ठेकेदार काम नहीं करवा रहा है।

12 हजार पन्ने हुए स्केन

यहां पर मौजूदा स्टाफ ने अब तक यहां उपलब्ध बेशकीमती साहित्य की जर्जर होती किताबों से 12 हजार पन्ने स्केन कर लिए हैं। यह कार्य तेजी से किया जा रहा है ताकि किताबें जिंदा रहें। शहर से लेकर प्रदेश स्तर तक का प्राचीन व कीमती साहित्य यहा किताबों की शक्ल में उपलब्ध है।

फैक्ट फाइल

5 करोड़ से हो रहा गांधी भवन का कायाकल्प

40 हजार बेशकीमती किताबों का है संग्रह

2 साल से जारी है काम

250 बच्चे एक साथ बैठ सकेंगे