जजों की नियुक्ति में देर कर जीतने का दिखावा कर रही सरकार : SC

जजों की नियुक्ति में देर कर जीतने का दिखावा कर रही सरकार : SC

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी पर केंद्र सरकार से नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम की ओर से सिफारिश किए गए नामों को मंजूरी देने में की जा रही देर नियुक्ति के तरीके को विफल कर रही है। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत की तीन जजों की पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय सीमा निर्धारित की थी। उस समय सीमा का पालन करना होगा। जस्टिस कौल ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार इस तथ्य से नाखुश है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को मंजूरी नहीं मिली, लेकिन यह देश के कानून के शासन को नहीं मानने की वजह नहीं हो सकती है। कोर्ट ने सरकार पर अपनी टिप्पणी में कहा- इस तरह से नामों को लंबित रखकर वह जीतने का दिखावा कर रहे हैं।

क्या है एनजेएसी मामला

शीर्ष अदालत ने 2015 में एनजेएसी (राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग) अधिनियम और संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 को रद्द कर दिया था। इससे सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली बहाल हो गई थी। सोमवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से कहा कि कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए नामों और अनुशंसित नामों को सरकार मंजूरी नहीं दे रही है। तंत्र कैसे काम करता है? कोर्ट ने कहा- हम अपना रोष पहले ही व्यक्त कर चुके हैं। शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि समय पर नियुक्ति के लिए पिछले साल 20 अप्रैल के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने जो समय सीमा निर्धारित की थी, उसकी जानबूझकर अवज्ञा की गई है।

केंद्र ने 20 फाइलें कॉलेजियम को वापस कर दीं

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम से उन 20 फाइलों पर पुन: विचार करने को कहा है जो उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित हैं। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि इनमें अधिवक्ता सौरभ कृपाल की भी फाइल शामिल है जो खुद के समलैंगिक होने के बारे में बता चुके हैं। सूत्रों ने कहा, सिफारिश किए गए नामों पर केंद्र सरकार ने कड़ी अपत्ति जताई है और गत 25 नवंबर को फाइलें कॉलेजियम को वापस कर दीं। इन 20 मामलो में से 11 नए मामले हैं, जबकि नौ मामलों को दोहराया गया है।

रिजिजू के बयान पर कहा

इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने नियुक्तियों के मुद्दे पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के एक बयान का हवाला दिया। इस पर कोर्ट ने कहा- हम कितने बयानों का संज्ञान लें। जब कोई उच्च स्तर का व्यक्ति कहता है तो उन्हें कहने दें, हम इसे खुद करेंगे।

क्या कहा था रिजिजू ने

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि संविधान सभी के लिए एक धार्मिक दस्तावेज है। केंद्र पर कॉलेजियम की सिफारिशों पर बैठने का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। न्यायाधीशों का निकाय सरकार से यह उम्मीद नहीं कर सकता है कि उसकी सभी सिफारिशें मानी जाएंगी।