एमटीएच अस्पताल की बड़ी लापरवाही : हे भगवान...जिंदा रखना

एमटीएच अस्पताल की बड़ी लापरवाही : हे भगवान...जिंदा रखना

इंदौर। कहते हैं कि घर से ज्यादा मरीजों के स्वास्थ्य का अस्पतालों में सबसे ज्यादा ध्यान रखा जाता है, क्योंकि वहां ऐसी कोई चीज का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे मरीज को कोई परेशानी हो या उसकी जान पर बन आए... लेकिन इन दिनों इंदौर का एक अस्पताल ऐसा है, जो मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है... जिसे मरीजों की सुरक्षा और उनकी जान से कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल,मरीजों के इलाज के दौरान डॉक्टर या स्टॉफ को हाथों में ग्लब्स पहनने पड़ते हैं... वो भी एक बार यूज करके फेंक दिए जाते हैं, ताकि दूसरे मरीज को इसका इंफेक्शन या वायरस न लगे, लेकिन एमटीएच में एक ही ग्लब्स को बार-बार धोकर हर मरीज के इलाज में उपयोग में लाया जा रहा है, जो मरीजों की जान से बहुत बड़ा खिलवाड़ है। स्टाफ और डॉक्टर ने इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन और एमजीएम कॉलेज डीन को कई बार पत्र लिखकर सूचना दी, लेकिन उनके कानों में जूं तक नहीं रेंगी। फिलहाल यहां के मरीज भगवान के भरोसे ही जिंदा हैं। लापरवाही से पूर्ण अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं। ओ एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधीन एमटीएच अव्यवस्था को लेकर हमेशा चर्चा में रहता है।

पिछले तीन सप्ताह से नहीं है ग्लब्स

जेडीएन ने बताया कि एमटीएच में तीन सप्ताह से ऑपरेशन करने के लिए भी ग्लब्स नहीं मिल पा रहे हैं और न हीं जांच के लिए। इसके चलते गंदे ग्लब्स को 24 घंटे पानी में डालकर व धोकर उसका दोबारा इस्तेमाल करवा रहे हैं, साथ ही एनेस्थीसिया की इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा। वर्तमान में सी सेक्शन के लिए जो एनेस्थीसिया दिया जाता है, उसमें मरीज को पूरा बहोश करना पड़ रहा है। इससे मरीज की सेहत पर उसका असर पड़ेगा, साथ ही ऑपरेशन के लिए जरूरी लिनन भी नहीं मिल पा रहा है। इस अव्यवस्था के बीच मरीज का इलाज किया जा रहा है। पूर्व में मरीजों के परिजन से सामग्री बुलाई जाती थी, पर संभागायुक्त के निर्देश के बाद बंद कर दी गई है। एमटीएच अधीक्षक और एमजीएम डीन को भी अवगत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

बजट के कारण आ रही दिक्कत

हमने ग्लब्स सहित अन्य सामग्री के लिए डीन को भी पत्र लिखा है। बजट के हिसाब से भोपाल से सामग्री आती है। हमें कहा है जल्द सामग्री आ जाएगी। भोपाल से एमवाय अस्पताल सामग्री आती है, इसके बाद वहां से मांग के हिसाब से हम यहां मंगवा लेते हैं। -डॉ. सुमिता यादव,एमटीएच अस्पताल प्रभारी