मंडला, डिण्डौरी में विकास दर बताई जा रही शून्य, नहीं है कहीं भी राष्ट्रीय स्तर के कोई शिक्षण संस्थान

मंडला, डिण्डौरी में विकास दर बताई जा रही शून्य, नहीं है कहीं भी राष्ट्रीय स्तर के कोई शिक्षण संस्थान

जबलपुर । उपेक्षा के चलते एक बार फिर पृथक महाकौशल राज्य बनाने की मांग उठने लगी हैं। रेवा खंड की मांग के साथ पृथक महाकौशल राज्य के लिए संगठन सक्रिय हो रहे हैं। इस बार पृथक महाकौशल राज्य मोर्चा की कई जिलों में बनी समितियों के सदस्य मांग उठाई है। गौरतलब है कि महाकौशल क्षेत्र में एक भी एम्स,आईआईटी या फिर राष्ट्रीय स्तर के कोई भी शिक्षण एवं चिकित्सा संस्थान नहीं हैं। मंडला,डिंडोरी जिलों में विकास दर शून्य है और ना ही यहां पर कोई रेलवे लाईन है। ऐसी अन्य समस्याओं के कारण पृथक महाकौशल राज्य बनाने की आवाज उठ रही है। पृथक राज्य बनाने के लिए महाकौशल क्षेत्र के विभिन्न जिलों से मात्र 10 दिनों में 2 हजार से ज्यादा समर्थक बन गए हैं।

विकास के नाम पर पकड़ा दिया जाता है झुनझुना

दरअसल 1956 से लेकर आज तक महाकौशल क्षेत्र जिसमें जबलपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, कटनी, मंडला, डिण्डोरी, छिदवाड़ा, बालाघाट, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, लगातार आर्थिक स्तर पर उपेक्षा का शिकार हुआ है। पूरा क्षेत्र विकास में बहुत पिछड़ गया है। राजनेता केवल अपनी रोटियां सेकते है। विकास के नाम पर झुनझुना पकड़ा दिया जाता है। बात अगर रोजगार की हो तो युवाओं को दूसरे राज्यों का मुंह देखना पड़ता हैं,कृषि प्रधान होंने के बाद भी कोई विशेष आर्थिक पैकेज किसानों के लिए नहीं है। औद्योगिक विकास नहीं के बराबर हैं। समस्त मुख्यालय,आयोग, ट्रिब्यूनल भोपाल, इंदौर, ग्वालियर में हैं। जिसके कारण पृथक राज्य मोर्चा द्वारा अभियान चलाकर महाकौशल राज्य अलग बनाने की मांग कर रहा हैं।

आनलाईन भरवाया जा रहा सहमति पत्र

पृथक महाकौशल राज्य बनाने के लिए आनलाईन सहमति पत्र भरवाया जा रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से पृथक महाकौशल राज्य को लेकर 48 घंटे में 4 सौ से ज्यादा सहमति मिल गई है। ये जिले हैं प्रस्तावित जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, छिदवाड़ा, अनूपपुर, मंडला, डिंडोरी, सिवनी, उमरिया सहित अन्य 11 जिलों के अलावा पृथक महाकौशल राज्य में सिहोरा जिला (मंझौली, बहोरीबंद,पाटन सहित) गाडरवारा जिला ( करेली,आम गांव, बोहनी, चीचली सहित) वारासिवनी जिला,परासिया जिला प्रस्तावित हैं।