ग्वालियर दक्षिण: भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल, क्या रण जीत पाएंगे नारायण ?

ग्वालियर दक्षिण: भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल, क्या रण जीत पाएंगे नारायण ?

ग्वालियर। ग्वालियर पश्चिम से दक्षिण में कनवर्ट हुई विधानसभा क्षेत्र के निवासियों के लिए संजीवनी का काम करने वाली स्वर्णरेखा नदी में काफी पानी बह चुका है और गुजरे पांच सालों में डबल इंजन की सरकार से कोई मदद भाजपा नहीं दिला पाई। इसके लिए माननीय (नारायण) ने सरकार के सामने भी मुद्दा नहीं उठाया। कोई सकारात्मक सोच के साथ अपनी सरकार से भी बड़ी मदद नहीं दिला सके। कोरोना काल में भी सजातीय लोगों की मदद नहीं कर पाए । वे जनता जनार्दन की सेवा के लिए अस्पतालों में चक्कर काटते हुए नहीं दिखे। कुशवाहा समाज के 16876 वोट के सहारे वे अपनी पार्टी को डराकर टिकट तो कबाड़ लाए। इस आम चुनाव में वे अपने विरोधी के मुकाबले चुनावी रण जीत पाएंगे इसमें संदेह दिख रहा है।

वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा की बागी महापौर समीक्षा गुप्ता ने 30 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे। इस रण में मुस्लिम वर्ग का वोट समीक्षा कबाड़ ले गर्इं थीं। लेकिन 2023 के आम चुनाव में चुनावी चौसर पर स्थितियां उलट दिख रही हैं। समीक्षा गुप्ता इस बार चुनाव मैदान में नहीं हैं, इसका प्रत्यक्ष लाभ प्रवीण पाठक को मिलता हुआ दिख रहा है। समीक्षा को मिला वोट कितना नारायण विरोधी के पाले में जाएगा यह कह पाना मुश्किल है। लेकिन इतना तय है कि यह वोट भाजपा को नहीं मिलेगा ?

दक्षिण में हैं 2 लाख 58 हजार से अधिक वोट

मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा में एक बार इस्माइल खां पठान को कांग्रेस ने टिकट दिया था लेकिन वे जीत नहीं सके। जबकि इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 35400 है। जातिगत आंकड़ों के हिसाब में भी भाजपा फिट नहीं बैठ रही क्योंकि अपने मंदिरों को लेकर जैन समाज भाजपा से काफी नाराज चल रहा है। इस विधानसभा में 7297 जैन मतदाता हैं। इन्हें क्या करना है इसके लिए जैन मुनियों ने सब कुछ तय कर लिया है। जैनियों ने 12 नवंबर को उपवास रखने के लिए भी कॉल किया है। जैन समाज की यह एक्टिविटी भाजपा के लिए बड़ी भारी पड़ सकती है।

दक्षिण विधानसभा के जातीय समीकरण

ब्राह्मण 23508, कुशवाह 16876, वैश्य 12780, जाटव 10721, मराठा 9540, महाराष्ट्रीयन 3270, सिंधी 9424, कायस्थ 7662, पाल 6374, पंजाबी 4677, राठौर 4688, प्रजापति 3362 प्रमुख हैं। इसके अलावा 2 हजार से नीचे की संख्या वाली एक दर्जन करीब जाति-समाज दक्षिण का मतदाता है।

फर्स्ट टाइम वोटरों को नहीं रिझा पा रहे नारायण

भाजपा ने अपना दांव नारायण सिंह कुशवाहा के ऊपर चल तो दिया, लेकिन फर्स्ट टाइम वोटर के लिए मुश्किल भरा फैसला हो रहा है। क्योंकि इस वोटर को आकर्षित करने में प्रत्याशी की वेशभूषा, चेहरे की चमक बड़ा रोल अदा करती है। दक्षिण में 18-19 वर्ष के फर्स्ट टाइम वोटर की संख्या 6362 है। ऐसा वोट नितांत व्यक्तिगत रहता है। मौजूदा प्रदेश सरकार ने लुभावनी कोई योजना युवाओं के लिए नहीं दी है।